सांस लेने से सांस छोड़ने तक राम ही राम: संवादी के ‘राम का लोकरंजक रूप’ सत्र का निष्कर्ष
लखनऊ: हे राम, राम राम, हाय राम, राम नाम सत्य है... सांस लेने से लेकर सांस छोड़ने तक एक ही नाम, राम ही राम. [...]
संवादी के ‘सबमें रमे सो राम कहाए’ सत्र में मनोज मुंतशिर शुक्ला ने ‘आदि पुरुष’ के लिए गलती मानी
लखनऊ: अभिव्यक्ति के उत्सव 'संवादी' के 'सबमें रमे सो राम कहाए' सत्र में गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला से दैनिक जागरण के संपादक-उत्तर प्रदेश आशुतोष [...]
आदर्शवाद और बेवकूफी के बीच की लकीर बहुत महीन: संवादी के राजनीति का मैजिक सत्र में वक्ता
नऊ: संवादी के 'राजनीति का मैजिक' सत्र में शहजाद पूनावाला से 20 साल की मित्रता और शाजिया इल्मी से कानपुर का पड़ोसी होने का [...]
हरिवंश से ‘कलश’, ‘सृष्टि का मुकुट: कैलास मानसरोवर’ और ‘पथ के प्रकाश पुंज’ पुस्तकों पर संवादी में चर्चा
लखनऊ: 'हम ऐसी शोधपरक सामग्री रचें-गढ़ें कि लोगों में लंबे लेख की प्रवृत्ति उपजे. चार लाइन की संक्षिप्त सामग्री पढ़ने की [...]
‘लोक से क्यों दूर रंगमंच’ संवादी के सत्र में बिपिन कुमार, वामन केंद्रे व भानू भारती से अजय मलकानी का संवाद
लखनऊ: बीज को पौधा बनने के लिए जिस तरह सूर्य का प्रकाश चाहिए होता है, उसी भांति कलाओं को प्रस्फुटित करने [...]
यतीन्द्र मिश्र की पुस्तक ‘गुलज़ार साब’ पर संवादी में लेखक और सलीम आरिफ ने मीना कुमारी पर जो कहा
लखनऊ: "गुलज़ार चांद को नए तरीके से देखते हैं. कभी रोटी के रूप में तो कभी थाली के तौर पर. कभी [...]
भारत हमेशा उद्यमिता को बढ़ाने वाला देश रहा: संवादी में ‘मोदी एम्पावर्स डेवलपमेंट’ पुस्तक पर चर्चा में वक्ता
लखनऊ: "कई देश कृषि को पिछड़ेपन का कारण मानते हैं. कृषि किसी भी तरह से पिछड़ेपन का कारण नहीं है. कोविड [...]
गहरी अभिव्यक्ति और यथार्थ के बीच फंसा लेखन: ‘आज की स्त्री और कविता’ विषयक सत्र में रचनाकारों का मत
लखनऊ: भारतेंदु नाट्य अकादमी में संवादी के दूसरे सत्र में 'आज की स्त्री और कविता' विषय सत्र में संवाद से यह संकेत [...]
समृद्ध प्रथा के चलते मूर्ति पूजा जीवित: संवादी में ‘प्रतिमाएं, आस्था की शक्ति’ विषय पर अमीश और भावना रॉय
लखनऊ: हमारी गौरवशाली परंपरा, हमारी समृद्ध वर्ण व्यवस्था, मूर्तियों-प्रतिमाओं के प्रति हमारी गहरी सनातन आस्था; अनगिनत घात-प्रतिघात सहन कर अक्षत-अक्षय रहीं. आत्मगौरव का [...]
संवादी में यतीन्द्र मिश्र, युनूस खान के संवाद और उद्भव के गीतों से सजी नौशाद की महफिल
लखनऊ: संगीत जब शास्त्रीय रागों की सीढ़ियों से उतरकर लोकसंगीत का सरोवर बन जाए. जब धुनों की रेशमी डोर पकड़कर [...]
संवादी के ‘राष्ट्रीय स्वत्व का संघर्ष’ सत्र का निष्कर्ष, हिंदुइज्म और हिंदुत्व में जमीन-आसमान का अंतर
लखनऊ: "षड्यंत्र के तहत हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्थाओं पर हमले आज भी जारी हैं, लेकिन यह दोषारोपण का नहीं आत्मनिरीक्षण और आत्म-सुधार [...]
संवादी के ‘भारत का भविष्य और साहित्य’ सत्र में वक्ताओं ने साहित्य को त्रिकालदर्शी बताया
लखनऊ: "साहित्य किसी युग का हो उसने हमेशा सपने देने के साथ प्रेरित करने का काम किया है. भारत का भविष्य [...]