लखनऊ: “कई देश कृषि को पिछड़ेपन का कारण मानते हैं. कृषि किसी भी तरह से पिछड़ेपन का कारण नहीं है. कोविड के समय में भारत ने कई देशों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया.” यह कहना था लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. एमके अग्रवाल का. संवादी के उद्घाटन सत्र में प्रो अग्रवाल ने अपनी पुस्तक ‘मोदी एम्पावर्स डेवलपमेंट’ पर विमर्श के दौरान यह बात कही. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रो सनातन नायक ने उनसे संवाद किया. उन्होंने कहा कि भारत कभी भी नौकरी करने वाला देश नहीं रहा. यहां हमेशा से ही उद्यमिता पर ध्यान दिया गया. आज मेक इन इंडिया इसे और तेजी से आगे बढ़ा रहा है. कोविड के बाद भी इसी कारण से भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी है.

देश के विकास, अर्थव्यवस्था, योजनाएं, कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन जैसे कई आयामों की चर्चा करते हुए प्रो अग्रवाल ने कहा कि कृषि और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) ग्रोथ के इंजन हैं. आज एमएसएमई घट जाए तो कोई भी रोजगार नहीं दे सकता. यूपी में कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन, विकास के बदलते मानक, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि के योगदान को लेकर उनसे कई सवाल हुए. प्रो अग्रवाल ने कहा कि पश्चिम की धारणा आज टूट रही है और नए तरीके से उत्पादन लागत कम की जा रही है. अब नए सिरे से कृषि भी आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री की जनधन, उज्ज्वला, पक्का मकान बनाने की योजनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को गति मिली. जो सेक्टर सबसे कमजोर है, वही सेक्टर सबसे तेज विकास कर रहा है.