देश के सबसे ज्यादा पढ़े जानेवाले अखबार ‘दैनिक जागरण’ का सालाना उत्सव ‘जागरण संवादी’ तीस नवंबर से दो दिसंबर तक लखनऊ के संगीत नाटक अकादमी में आयोजित होने जा रहा है।‘संवादी’ का अर्थ होता है संवाद करनेवाला, इस वजह से इसको अभिव्यक्ति का उत्सव भी कहा जाता है। ‘संवादी’ में साहित्य, कला, धर्म, राजनीति, गीत-संगीत से लेकर सिनेमा और खेल के दिग्गजों का मंच संजता है। पिछले चार सालों में हिंदी के इस महामंच से ना केवल हिंदी बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं के बीच संवाद हुआ है, बल्कि साहित्यिक विमर्शों को भी स्थान मिलता रहा है। एक अनुमान के मुताबिक इस वक्त देशभर में तीन सौ से अधिक लिटरेचर फेस्टिवल हो रहे हैं। इन साहित्योत्सवों की भीड़ के बीच संवादी ने विषयों और वक्ताओं के चयन से अपनी एक अलग पहचान बनाई है और आज ‘संवादी’ विमर्श के सबसे बड़े मंच के रूप में स्थापित हो चुका है। ‘जागरण संवादी’ को देशभर के दिग्गज लेखकों का साथ मिला है और हर साल अस्सी के करीब लेखक,कलाकार, संस्कृतिकर्मी और नेता इसका हिस्सा बनते रहे हैं। अपनी स्थपना का पांचवां वर्ष मनाने जा रहा जागरण संवादी ने इस वर्ष को विशेष बनाने के लिए खास इंतजाम किए हैं ओर अपने दायरे को और विस्तार दिया है।

‘संवादी’ के इस पांचवें संस्करण में परंपरा, रूढि और पौराणिक चरित्रों से लेकर मिथकों तक पर मंथन होगा। ‘धर्म के धर्मसंकट’ से लेकर ‘इस्लाम के द्वंद’ तक पर इन विषयों के विद्वान अपना मत रखेंगे। संवादी में इस वर्ष लखनऊ की प्रतिष्ठित शख्सियत कल्बे जव्वाद और फरंगी महली साहब भी हिस्सा लेंगे। परंपरा और मूल्यों के अलावा साहित्य में मिथक और यथार्थ को लेकर युवा पीढ़ी के मन में बहुधा सवाल अंकुरित होते हैं। इन सवालों से भी मंच पर मुठभेड़ होगी जिसमें अलग अलग राय रखनेवाले विद्वान अपना अपना पक्ष रखेंगे। लखनऊ में कार्यक्रम हो और अवध की संस्कृति की झलक ना दिखे ये तो संभव ही नहीं है। अवध की संस्कृति से लेकर वहां के गीत संगीत और खान-पान पर अलग-अलग सत्र में इन क्षेत्रों के दिग्गज अपने अनुभवों को साझा करेंगे। अवध के लोकगीतों और अन्य धाराओं के साथ उसके संबंध पर मशहूर गायिका मालिनी अवस्थी और विद्या शाह के साथ संवाद करेंगे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त लेखक और संगीत के अध्येता यतीन्द्र मिश्र। लखनऊ मेरा लखनऊ में यहां के लोगों से रूबरू होंगे मशहूर फिल्मकार मुजफ्फर अली, विलायत जाफरी और योगेश प्रवीण और इनसे बातचीत करेंगे आत्मप्रकाश मिश्र। अवध के खाने पर पंकज भदौरिया और अली मियां महमूदाबाद अपनी बात रखेंगे। साहित्य में विमर्श का अपना एक अलग महत्व रहा है। दलित विमर्श ने पिछले तीन दशकों में लंबा रास्ता तय किया है, दलित साहित्य अब किस राह पर चलेगा, इसपर मराठी के विख्यात दलित लेखक लक्ष्मण गायकवाड़ के साथ हिंदी के दलित लेखक अजय नावरिया और प्रो श्योराज सिंह बेचैन अपना मत रखेंगे। यहां इस बात पर भी चर्चा संभव है कि क्या दलित विमर्श भी ब्राह्मणवाद का शिकार हो गया है।

आपने टीवी पर राजनीतिक दलों के नेताओं को एक दूसरे से उलझते देखा होगा, उनसे संवादी के मंच पर सीधे-सीधे पूछा जाएगा कि आप लड़ते क्यों हैं, इसमें शाजिया इल्मी के साथ अनुराग भदौरिया होंगे। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने दिल्ली में तीन दिन तक अपनी बात रखी थी और कई मसलों पर फैले भ्रम के जाले को साफ किया था। तीन दिनों के उनके भाषण के बाद से इस बात को लेकर बौद्धिकों के बीच काफी चर्चा हो रही है कि क्या समय के साथ संघ बदल रहा है। इस विषय पर संघ से जुड़े जे नंदकुमार अपनी बात रखेंगे । 2014 के बाद से अचानक राष्ट्रवाद चर्चा में आ गया है। देशभक्ति और राष्ट्रवाद के द्वंद पर अपनी बात रखेंगी वरिष्ठ पत्रकार शबा नकवी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नंदकिशोर पांडे और सिंधी प्रमोशन काउंसिल के निदेशक रविप्रकाश टेकचंदानी। तीन दिन तक चलनेवाले इस उत्सव में स्त्री विमर्श के बदलते स्वरूप पर चर्चा होगी। इन दिनों मी टू की काफी चर्चा है इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार शेफाली वैद्य और कवयित्री स्मिता पारिख अपने विचार रखेंगीं। पिछले दिनों से हिंदी साहित्य जगत में ‘नई वाली हिंदी’ को लेकर खासी चर्चा रही। दैनिक जागरण बेस्टसेलर की सूची में इनमें से कई लेखकों की कृतियों ने जगह बनाई। इन बेस्टसेलर लेखकों के साथ कुछ युवा लेखकों से इस नई प्रवृत्ति और उनके रचना विधान पर बात होगी जिसमें गौरव सोलंकी, क्षितज शर्मा,सिनीवाली शर्मा और प्रवीण कुमार अपनी बात रखेंगे। इस दिलचस्प सत्र का संचलन इनसे वरिष्ठ पीढ़ी के एक लेखक करेंगे जिससे भाषा को लेकर एक साझा समझ बनाने की कोशिश होगी।

एक जमाना था जब उत्तर प्रदेश के कई शहरों में रचनात्मकता का परचम लहराता था, चाहे वो इलाहाबाद हो, लखनऊ हो, बनारस हो, गोरखपुर हो या फिर आगरा। क्या वजह रही कि लखनऊ को छोड़कर इन शहरों में उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाओं के सृजन में कमी देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश की रचनात्मकता पर बात करेंगे साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी, मशहूर कवि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी और उपन्यासकार और कथाक्रम पत्रिका के संपादक शैलेन्द्र सागर। इनसे बात करेंगे युवा कहानीकार राहुल नील। अभिव्यक्ति का उत्सव साहित्य में रोमांस पर चर्चा,कविता पाठ और मुशायरे के बगैर पूरी नहीं होती है। संवादी में तीन दिनों के दौरान साहित्य में रोमांस पर कहानीकार वंदना राग के साथ होंगी उपन्यासकार सुचि सिंह कालरा और अनामिक मिश्रा । काव्य पाठ में वरिष्ठ गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र के साथ होंगे माहेश्वर तिवारी, इसके अलावा कवि सर्वेश अस्थाना भी इस गोष्ठी में शामिल होंगे। तीन दिन के इस अभिव्यक्ति के उत्सव का समापन एक भव्य मुशायरे से होगा । इस मुशायरे में नवाज देवबंदी, शीन काफ निजाम, मंजर भोपाली, अना देहलवी, इकबाल अशहर के अलावा आलोक श्रीवास्तव अपनी शायरी के रंग बिखेरेंगे।

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