दुष्यंत कुमार की गजलों के पाठ के अलावा, लोक कथाओं की प्रासंगिकता और अनुवाद की चुनौतियों पर चर्चा
जयपुर: मत कहो, आकाश में कुहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है/ सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से, क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है...- हो या फिर- हो गई है [...]