जयपुर: मत कहोआकाश में कुहरा घना हैयह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है/ सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह सेक्या करोगेसूर्य का क्या देखना है…- हो या फिर- हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए/ सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहींमेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए… जैसी अनगिनत पंक्तियों से समाज को झकझोरने वाले गजलकार दुष्यंत कुमार जवाहर कला केंद्र में ‘कला संसार‘ के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम ‘स्पंदन‘ में छाए रहे. वक्ताओं ने कुमार की गजलें और कविताएं पढ़ीं और उन्हें याद किया. हालांकि इस दौरान कथा साहित्यअनुवादगीतकविताभाषा और राजस्थानी साहित्य पर भी जम कर बात हुए.

टाइमलेस टेल्स वाया गार्डन ऑफ टेल्स‘ नामक सत्र में डा तबीना अंजुम ने विशेष कोठारी से लोक कथाओं के अनुवाद व इसकी चुनौतियों को लेकर चर्चा की. तबीना ने कहा कि लोक कथाओं की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगीइन्हें वैश्विक पटल पर रखने की जरूरत है. अरुंधति पालावत ने इस सत्र का संचालन किया. याद रहे कि जवाहर कला केंद्र की ओर से संगीतसाहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रखने वाली हस्तियों की स्मृति में दो दिवसीय स्पंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गयाजिसमें गीतकार व साहित्यकार शैलेन्द्र पर तैयार वृत्त चित्र प्रस्तुत करने के साथ ही जय प्रकाश चौकसे पर वक्तव्य हुआ. साहित्यकार अमृता प्रीतमविजयदान देथा को समर्पित वार्ता सत्र हुआ तोदुष्यंत कुमार की कविताएं पढ़उनकी प्रतिभा को सराहा गया.