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लोक, कला, अनुवाद, संस्कृति और विरासत पर ज्वलंत चर्चा के साथ चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव 2024 संपन्न

चित्तौड़गढ़: कला, संस्कृति और विरासत के रंगों में डूबा चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव 2024 सकुशल संपन्न हुआ. युवाओं और स्कूली विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी इस उत्सव का खास आकर्षण रही. तीन दिवसीय इस आयोजन [...]

2024-03-05T10:49:14+05:30

उपेंद्र भांजा और सूर्या बलदेव रथ ने भारतीय साहित्य को समृद्ध किया: बरहामपुर विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति मुर्मु

गंजम: "ओड़िशा के दक्षिणी क्षेत्र का न केवल ओडिशा के इतिहास में, बल्कि भारत के इतिहास में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. यह भूमि शिक्षा, साहित्य, कला और हस्‍तशिल्प में समृद्ध है. इस क्षेत्र [...]

2024-03-05T10:49:12+05:30

खड़ी बोली के विकास के लिए 1893 में स्थापित नागरीप्रचारिणी सभा तीन दशकों बाद फिर सक्रिय

वाराणसी: आधुनिक खड़ी बोली हिंदी के विकास से जुड़ी नागरी प्रचारिणी सभा तीन दशकों तक निष्क्रिय रहने के बाद एक बार फिर सक्रिय हो गई है. संस्था के आर्यभाषा वाचनालय [...]

2024-03-05T10:49:12+05:30

कथेतर साहित्य को विज्ञान, पर्यावरण, प्रकृति के मिलन बिंदु तक मिलाता है: ‘कथेतर का रचना विधान’ सत्र में वक्ता

भोपाल: "कथेतर ने कथा को पीछे छोड़ दिया है, पाठकों में कथेतर को लेकर बहुत जिज्ञासा है. कथेतर में लेखक जीवन के बारे में लिखते हैं." यह बात वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने [...]

2024-03-02T11:11:50+05:30

तीन दिवसीय राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मान समारोह में शिवमूर्ति और प्रत्यक्षा सहित दस रचनाकार सम्मानित

भोपाल: जगन्नाथ प्रसाद चौबे 'वनमाली' के रचनात्मक योगदान और स्मृति को संरक्षित करने के लिए स्थापित संस्थान वनमाली सृजन पीठ का तीन दिवसीय राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मान समारोह रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय परिसर [...]

2024-03-02T11:11:38+05:30

ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल का विकास होता है: झारखंड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु

रांची: "ऐसा कहा जाता है कि स्वर्णरेखा नदी के जल-सेवन मात्र से ही मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है. ऐसी भूमि और नदी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करना [...]

2024-03-02T11:11:26+05:30

साहित्य की प्रासंगिकता आज भी उतनी जितनी पूर्वकाल में थीः कुल्लू साहित्य उत्सव में तोरूल एस रवीश

कुल्लू: "साहित्य देश और विश्व की हर कड़ी को जोड़ता है. साहित्य की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही जितनी पूर्वकाल में थी. समय के साथ इसमें बदलाव आते रहे हैं." यह बात [...]

2024-03-02T11:11:16+05:30

राजकमल प्रकाशन 77वां स्थापना दिवस: ‘भविष्य के स्वर’ विषयक संवाद में इतिहास, पारिस्थितिकी की बात

नई दिल्ली: हर चीज में इतिहास होता है लेकिन हर चीज इतिहास नहीं होती. इतिहास को पठनीय बनाने के लिए हमें उसे आमजन की भाषा में ही बताना होगा. अतीत [...]

2024-03-02T11:11:00+05:30

‘मैं’ नहीं ‘हम’ जनजातीय समाज का मूल मंत्र: ‘क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह, संस्कृति एवं विरासत’ संगोष्ठी में राष्ट्रपति

क्योंझर: "जनजातीय लोग समानता एवं लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वाधिक महत्व देते हैं. जनजातीय समाज में 'मैं' नहीं, 'हम' मूल मंत्र है. जनजातीय समाजों में स्त्री-पुरुष के बीच कोई भेदभाव नहीं है और यही दृष्टिकोण [...]

2024-03-02T11:10:50+05:30

महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी एवं देवकृपा ग्रामीण विकास संस्था ने आयोजित की कवि-साहित्य गोष्ठी

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई एवं देवकृपा बहुउद्देशीय ग्रामीण विकास संस्था, यवतमाल के संयुक्त तत्वावधान में छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में तुलसीराम शेबे नर्सिंग कालेज, पुसद में राष्ट्रीय [...]

2024-02-29T15:16:56+05:30
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