जबलपुर: “पूरे देश के साहित्यकार जबलपुर को हरिशंकर परसाई के कारण पहचानते जानते हैं. आलम यह था कि जबलपुर को हम लोग परसाईपुर कहते थे. गरजन सिंह वरकड़े लिखित पुस्तक ‘साहित्य संवाद‘ को प्रत्येक साहित्यकार और हिंदी के शोधार्थी को पढ़ना चाहिए.” साहित्यकार ममता कालिया ने यह बात स्थानीय रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथ‍िका में पहल के तत्वावधान में प्रसारण कर्मी गरजन सिंह वरकड़े द्वारा हिंदी और उर्दू के प्रत‍िष्ठ‍ित साहित्यकारों के संकलन ‘साहित्य संवाद‘ के विमोचन कार्यक्रम में कही. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रसारक व लेखक मधुकर उपाध्याय थे. उन्होंने कहा कि साहित्य संवाद पुस्तक में मूर्धन्य साहित्यकारों के साक्षात्कारों का जो संकलन किया गया है वह अद्भुत है.

उपाध्याय का कहना था कि सिंह द्वारा इस संकलन में समाहित ये साक्षात्कार अपने समय और काल का गहराई से विश्लेषण करते हैं. उन्होंने 1857 की क्रांति से वर्तमान तक के समय को विश्लेषित करते हुए कहा कि भारतीय साहित्य व साहित्यकार की दृष्टि सर्वश्रेष्ठ है. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि चर्चित कथाकार राजेन्द्र दानी थे. दानी ने अपने वक्तव्य में कहा कि गरजन सिंह वरकड़े आकाशवाणी की ईमानदारी से नौकरी करते हुए अपनी पेशेवर विशेषता से साहित्यकारों के ऐसे इंटरव्यू करते थेजिसकी अपेक्षा विशेषज्ञों से की जाती है. इस विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक डा भारती शुक्ला ने कहा कि किसी भी प्रकार के साक्षात्कार साहित्यकार के विचार और सोच को उकेरते हैं. कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन कथाकार पंकज स्वामी ने किया.