चंडीगढ़ः देश की सरहद पर जान की बाजी लगाने वाले सैकड़ों सैनिकों और अफसरों ने बहादुरी की ऐसी मिसाल कायम की है, जो आने वाली कई पीढि़यों के लिए प्रेरणा स्त्रोत होगी. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई हमेशा इतिहास के पन्नों में देश के सैनिकों को अमर कर गई. कुछ ऐसे ही जज्बातों को पूर्व सैनिक अफसरों ने पाचवें मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के तहत देश दुनिया में बैठे युवाओं के साथ साझा किया. फेस्टिवल के दूसरे चरण में भारत-पाक जंग से जुड़ी यादों के गवाह रहे थल सेना, नौ सेना और वायु सेना के अफसरों ने जंग में विपरीत हालातों के बावजूद सैनिकों द्वारा पेश किए अदम्य साहस के किस्से सुनाए. फेस्टिवल में देश और दुनिया भर के लोग इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जुड़े. इस बार मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल-2021 में 1971 के भारत-पाक युद्ध की गोल्ड जुबली के तौर पर मनाया गया, जिसमें दैनिक जागरण ने मीडिया पार्टनर की भूमिका में सहयोग किया.
कार्यक्रम के शुरुआत में वीर चक्र विजेता स्क्वाड्रन लीडर पीपीएस गिल ने पाकिस्तान की फोन को वायु सेना द्वारा मुंहतोड़ जवाब दिए जाने के ऑपरेशन के बारे से जुड़ी जानकारी दी. ब्रिगेडियर पीके घोष ने तंगेल में भारतीय सेना से जुड़े ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताया. फेस्टिवल में डेरा बाबा नानक और लोंगेवाला पोस्ट पर भारतीय सेना की बहादुरी से जुड़ी मूवी दिखाई गई, जिसमें चंडीगढ़ निवासी और लोंगेवाला बैटल के हीरो रहे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चादपुरी और उनके 120 सैनिकों द्वारा पाकिस्तान के 3000 से अधिक सैनिकों का पूरी रात मुकाबला किए जाने के बारे में जानकारी दी. लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने तालिबान और अफगानिस्तान के मौजूदा हालातों को लेकर विचार रखें. अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर विशेष पैनल डिस्कशन हुआ, जिसमें विशेषज्ञ के तौर पर एंबेसडर गुरजीत सिंह, एंबेसडर विवेक काटजू और रक्षा मामलों की विशेषज्ञ डॉ क्रिस्टाइन फेयर ने हिस्सा लिया. 1971 की जंग से जुड़े रोचक किस्सों में मेजर जनरल पुष्पेंद्र सिंह, ब्रिगेडियर ओएस गोराया, ब्रिगेडियर पीके घोष, कर्नल अरुण ठाकुर, मेजर चंद्रकात सिंह, एसएस बोपाराय ने अपनी बातें बताईं. मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल सोसायटी के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल पीएस शेरगिल की उपस्थिति ने गरिमा प्रदान की.