इटारसी: स्थानीय श्रीराम हनुमान धाम मंदिर परिसर में राम नवमी पर श्रीराम के व्यक्तित्व पर केंद्रित आध्यात्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआजिसे श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहा. मंच से वरिष्ठ कवि राजेन्द्र मालवीय आलसीरामकिशोर नाविककीर्ति वर्माअमित बिल्लौरेसुभाष यादव भारतीनर्मदा प्रसाद हरियालेसुनील सांवलापवन प्रबलसतीश शमी एवं मंच संचालक ब्रजकिशोर पटेल ने अपनी-अपनी शैली में श्रीराम की आराधना की. पूजा अर्चना के बाद कवियों का स्वागत अध्यक्ष लखन बैसपं नरेन्द्र तिवारी व नरेन्द्र सिंह राजपूत सहित समिति सदस्यों ने किया. सरस्वती वंदना प्रस्तुत करने के बाद कवयित्री कीर्ति वर्मा ने पढ़ा, ‘नाश हुआ सारे राक्षस कावह युक्ति भी तेरी थीमंथरा और कैकयी की बुद्धि तूने ही तो फेरी थी…‘ आल्हा फेम कवि सुनील सांवला ने श्रीराम व शबरी के प्रसंग पर कविता पढ़ीजिसके बोल थे, ‘बरसों बीत गए शबरी को राम राम की रटन लगाए…‘ नर्मदाप्रसाद हरियाले ने दशरथ-कैकयी संवाद के माध्यम से व्यथित हृदयी पिता की पीड़ा व्यक्त करते हुए पढ़ा, “मैं दशरथ मेरा अति व्याकुल है मनराम से कह दो कैकयी कि न जाएं वन…

कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे वरिष्ठ हास्य कवि ब्रजकिशोर पटेल ने पढ़ा, ‘ये जो रामायण हैकेवल पुस्तक नहीं हैइस देश की संस्कृति है देश के प्राण हैं…‘ इसके बाद सुभाष यादव भारतीसतीश शमी ने भी अपने-अपने निराले अंदाज में राम के महान व्यक्तित्व और आधुनिक युग के संकीर्ण मानव की सोच पर आधारित कविताएं सुनाई. पवन प्रबल के इस मुक्तक को भी बहुत पसंद किया गया, ‘जीवन है संग्राम बताकर चले गएकर्तव्यों के नाम बताकर चले गएरिश्ते नाते क्या होते हैं दुनिया मेंरामायण में राम बताकर चले गए.‘ गीतकार राम किशोर नाविक की पंक्तियां थीं, ‘दिव्य अलौकिक परम ठिकाने आया हूं. जीवन की सच्चाई बताने आया हूं…‘ ने खूब तालियां बटोरी. हास्य कवि राजेन्द्र मालवीय आलसी ने अपने अनूठे अंदाज में हंसाते हुए श्रीराम व हनुमान के प्रति श्रद्धा स्वरूप कविताएं भी सुनाई. गीतकार अमित बिल्लौरे ने गीतों के माध्यम से श्रीराम के व्यक्तित्व का चित्रांकन किया. समापन अवसर पर मंदिर समिति के लखन बैस ने कवियोंश्रोताओं एवं सहयोगियों के प्रति आभार प्रकट किया.