पटना 15 सितंबर। "हिंदी के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। हिंदी के विकास के लिए हम सब लोगों को मिल जुल कर काम करना होगा। विद्यार्थियों को हिंदी पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। सरकारी कार्य में हिंदी का अधिक प्रयोग होना चाहिए।" ये बातें बिहार सरकार के ग्रामीण विकास व संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने ए. एन. सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) की ओर से हिंदी दिवस सह कवि सम्मेलन उदघाटन में कही। पटना विश्विद्यालय में हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष बलराम तिवारी ने 'आज का हिंदी व उसके मानक स्वरूप' पर विषय पर केंद्बोरित अपने संबोधन में कहा कि " हिंदी की 18 आधार बोलियां हैं। संस्कृत, पाली सहित कई भाषाओं के शब्द इसमें लिए गए हैं। हिंदी समृद्ध है। अंग्रेज़ी में एक लाख शब्द हैं जबकि हिंदी में 27 लाख शब्द हैं।" डॉ सविता सिंह नेपाली ने कहा " हिंदी जो राजभाषा की जगह राष्ट्रभाषा घोषित कर देना चाहिए।"
पटना विश्विद्यालय में हिंदी के विभागध्यक्ष रहे व विधान पार्षद रामबचन राय, बी .एन मंडल विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति अमरनाथ सिन्हा, जेडी वीमेंस कालेज में हिंदी विभागाध्यक्ष उषा सिंह ने भी हिंदी के विकास संबंधी विचार रखे। डॉ रवींद्र उपाध्याय, डॉ रश्मि रेखा, डॉ पूनम सिंह, डॉ संजय पंकज, मृत्युंजय मिश्र करुणेश, भगवती प्रसाद द्विवेदी, अरुण शाद्वल, कमला प्रसाद, संजय कुमार कुंदन, दिनेश भ्रमर, अरुण कुमार आर्य, डॉ कासिम खुर्शीद आदि ने ऊनी कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम को मंत्रिमंडल सचिवालय के विशेष सचिव डॉ उपेंद्र नाथ पांडे, इम्तियाज़ अहम करीमी ने भी संबोधित किया।