नई दिल्लीः विश्व पुस्तक मेला खत्म हो चुका है, पर उसकी धमक अभी भी सुनाई पड़ रही है. देश के विभिन्न भागों से आये साहित्यकार अपने -अपने शहरों में लौटकर सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से मेले में प्रकाशित अपनी किताबों और दूसरे साहित्यकारों से मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट कर मेले की यादों को जीवंत कर रहे हैं. इस बीच मेले में आए साहित्यकारों के सम्मान में नई दिल्ली के राजस्थान हाउस में स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया. भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकारों ने विश्वपुस्तक मेला को भारतीय दर्शन का आईना निरूपित किया और कहा कि यहां दुनिया भर के साहित्यप्रेमियों को एक छत के नीचे विचारों का आदान प्रदान करने का सुनहरा अवसर मिलता है. 

समारोह में  राजस्थान के साहित्यकारों ने कला,संस्कृति एवं बेजोड़ इतिहास की विशेष रूप से चर्चा करते हुए कहा कि इस माटी के हर हिस्से में कहानियों का भंडार छुपा हुआ है. उन्होंने राजस्थान के हेरिटेज, रंग बिरंगे एवं जीवंत लोक जीवन को भी रेखांकित किया व कहा कि यहां विविधताओं में एकता के मिलन का एहसास सुखद अनुभूति को दर्शाता है. भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम के अध्यक्ष कुमेश जैन, उपाध्यक्ष एम के मोदी व हेमजीत मालू और संरक्षक जेतराम सोनी के साथ ही राजस्थान सूचना केंद्र,नई दिल्ली के अतिरिक्त निदेशक गोपेन्द्र नाथ भट्ट और राजस्थान भवन के वरिष्ठ प्रबंधक हेमंतकांत विनय ने साहित्यकारों का अभिनंदन किया. इस मौके पर राकेश पांडेय, प्रमोद सागर, लालित्य ललित, गोपीकृष्ण, गिरीश पंकज, हर्षवर्धन आर्य, आभा चौधरी, नीलम राठी, कंचन शर्मा, पूनम गुजरानी, शालिनी जैन, डॉ. स्नेहलता पाठक, राजेश अग्रवाल, हिम्मत सिंह राजपुरोहित, झिलमिल वासनिक, कुंवर रणविजय सिंह, मनु शर्मा, महिपाल दराल आदि मौजूद थे. साहित्यकारों ने इस मौके पर अपनी काव्य रचनाएं भी सुनाई.