नई दिल्ली: सूफ़ीज़्म और बुद्धिज़्म आज के अशांत विश्व में शांति और सौहार्द के पर्याय हैं, को स्थापित करने के उद्देश्य से साहित्य अकादमी और FOSWAL ने 22 से 24 फरवरी तक अकादमी के सभागार में 'साउथ एशियन फेस्टिवल ऑफ़ सूफ़ीज़्म एंड बुद्धिज़्म' का आयोजन किया.  इस मौके पर साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि यह कार्यक्रम बहुत महत्त्वपूर्ण है. भारत बहुसांस्कृतिक और विभिन्न धर्म, संप्रदाय तथा दर्शनों की भूमि है, जिनमें आंतरिक एकता का सूत्र पिरोया हुआ है. यहां कि भिन्न संस्कृतियां और दर्शन शास्त्र के विभिन्न विभाग एक दूसरे से मतभेद भी रखते हैं किंतु एक दूसरे के पूरक भी हैं और एक दूसरे को समृद्ध भी करते हैं; क्योंकि इनकी आंतरिकता में मनुष्यता और सोद्देश्यता का गुण है. उन्होंने आगे कहा कि दो महान दर्शन परंपराओं- सूफ़ीज़्म एंड बुद्धिज़्म- के बीच विभिन्न विरोधाभास के बावजूद बहुत सारी समानताएं हैं. हमें विश्वास है कि यह आयोजन वैश्विक शांति, सद्भाव और प्रेम को बढ़ावा देने में रचनात्मक सहयोग करेगा.
FOSWAL की अध्यक्ष और प्रख्यात कवयित्री अजीत कौर का कहना था कि यह इस प्रकार के आयोजन का 56वां संस्करण है. दिवंगत आलोचक डॉ. नामवर सिंह का स्मरण करते हुए उन्होंने इस आयोजन के उद्देश्य को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सूफ़ीज़्म और बुद्धिज़्म दोनों ही दर्शनों का लक्ष्य 'परम तत्त्व' और उसके 'सत्त्व' को जानना और उसे प्राप्त करना रहा है. उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया हिंसा, आतंकवाद, अलगाव और सांप्रदायिक वैमनष्य से जूझ रही है. ऐसे दौर में यह आवश्यक हो जाता है कि मानवीय आदर्श मूल्यों और सृजनात्मक और लोकतांत्रिक विचार-परंपराओं की ओर जाया जाए. भक्ति आंदोलन ने सर्व-समावेशी और सर्व-हितैषी जिस वृहद् समभाव की उदारता को प्रस्तुत किया था, उसी तत्त्व और भाव को सूफ़ीज़्म और बुद्धिज़्म ने अपनी तरह से प्रस्तुत किया और सार्वभौमिक प्रेम तथा एकता की स्थापना के लिए प्रयास किया. यह आयोजन उसी तत्त्व और भाव को प्रस्तुत करता है.