सहरसा: मंडल भारती मिथिला मंच ने महिषी निवासी यशस्वी साहित्यकार राजकमल चौधरी की पुण्यतिथि पर स्थानीय सुपर मार्केट स्थित प्रमंडलीय पुस्तकालय में स्मृति विचार गोष्ठी सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया. कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर हुआ. इस अवसर पर वक्ताओं ने राजकमल चौधरी के व्यक्तित्व क कृतित्व को याद करते हुए कहा कि उन्हें साहित्य सृजन की क्षमता कालिक परम्परा से प्राप्त हुई. उन्होंने हिंदी, मैथिली, बांग्ला और अंग्रेजी भाषा में समान रूप से लिखा और दर्जनों पुस्तकों की रचना की, जो आज भी प्रासंगिक हैं. वक्ताओं ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि मैथिली साहित्य में राजकमल चौधरी के सृजन पर काफी विवाद हुआ, क्योंकि उन्होंने वर्षो से चली आ रही प्रचलित परम्परा को अपने लेखनी से झकझोर कर रख दिया. उनकी कृतियों में 'ललका पाग', 'स्वर गंधा', 'एक अनार सौ बीमार', 'एक थी चम्पाकली', 'मछली मरी हुई', 'एक थी विषकन्या' तथा कई ऐसे कथा संग्रह एवं कविता संग्रह प्रमुख हैं, जिसके माध्यम से उन्होंने रुढ़िवादी सोच व परम्परा को नकार कर एक नव दृष्टि प्रदान की.
वक्ताओं ने एक स्वर से यह स्वीकार किया कि राजकमल चौधरी ने अपने विपुल लेखन से अपने समय की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक कुरीतियों को न केवल समाज के सामने प्रस्तुत किया, बल्कि उनकी रचनाओं से मैथिली साहित्य काफी समृद्ध हुआ. कार्यक्रम का संचालन आनंद झा ने किया. कार्यक्रम की आयोजक संस्था ने विशिष्ट अतिथियों को राजकमल वृक्ष देकर सम्मानित किया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ ललितेश मिश्र के अलावा दिलीप कुमार चौधरी, मुक्तेश्वर सिंह मुकेश, संगीता सिंह, रमण झा, शशिधर ठाकुर, विश्वनाथ खान,आशुतोष कुमार झा आदि शामिल हुए. विचार गोष्ठी के बाद हुई कवि गोष्ठी में सियाराम यादव मयंक, अविनाश शंकर बंटी, विभा झा, शालिनी तोमर, संदीप कश्यप, आदित्य ठाकुर, मोनू झा, मुर्तुजा नरियारवी, रघुवंश झा, रौशन राज, मनोरंजन कुमार , नीतिश मिश्र, अश्विनी कुमार, अवधेश कुमार सिंह, रूबी कुमारी आदि ने अपनी उपस्थिति और रचनाओं से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की.