टीकमगढ़ः मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की ज़िला इकाई द्वारा पावस गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ पत्रकार व लेखक आरएस चतुर्वेदी के निवास पर किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्य मनीषी आचार्य दुर्गाचरण शुक्ल ने की. मुख्य अतिथि डॉ एपी चतुर्वेदी और विशिष्ट अतिथि स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी  अनिल गोस्वामी रहे. कुण्डेश्वर से आये ओमप्रकाश तिवारी की सरस्वती वंदना के साथ गोष्ठी की शुरुआत हुई. इसके बाद युवा कवि रविन्द्र यादव ने 'न कहीं पै छाया है न कहीं पानी है'  सुनाकर श्रोताओं का ध्यान पानी और उसके संग्रहण की समस्या और प्रकृति में हो रहे बदलाव की ओर आकर्षित किया. एडवोकेट डीपी यादव ने पावस पर केंद्रित कविता में वर्षा के विभिन्न रूपों को चित्रित किया. डीपी शुक्ला 'सरस' ने 'बहना कहे बदरा तुम जइयो, जिन गैलन जावें भइया वीर' रचना सुनाकर खूब वाहवाही लूटी. प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष' की बुंदेली कविताओं ने गोष्ठी को ऊंचाई प्रदान की. वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत श्रीवास्तव ने 'ब बरसात का' व्यंग्य पढ़ा.
कार्यक्रम में जेरोन के मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं वरिष्ठ कवि उमाशंकर मिश्रा ने मानसून पर केंद्रित रचना सुनाकर तालियां बटोरीं. योगेंद्र तिवारी 'अटल' ने पावस को दार्शनिकता से जोड़ती कविता पढ़कर श्रोताओं को चिंतन के लिए विवश कर दिया. वीरेंद्र चंसौरिया ने मधुर कंठ से गीत पढ़ा. जिला पुस्तकालय अध्यक्ष विजय मेहरा की रचना, 'ये जो धूप की बरसात है, ये कुछ समय की बात है' को भी श्रोताओं की खूब सराहना मिली. पत्रकार वीरेंद्र त्रिपाठी, भारत विजय बगेरिया एवं वीके सौनकिया ने भी अपनी रचनाएं पढ़ीं. मुख्य अतिथि डॉ चतुर्वेदी एवम विशिष्ट अतिथि गोस्वामी ने  गोष्ठी में पढ़ी गईं रचनाओं की सारगर्भित समीक्षा की.अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य शुक्ल ने पावस के प्रकृति से संबंधों की अद्भुत व्याख्या प्रस्तुत की. गोष्ठी में जिला श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष रघुवीर सहाय पस्तोर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष फूलचंद्र जैन, सेवा निवृत्त प्राध्यापक डॉ केके चतुर्वेदी सहित अनेक गण्यमान्य लोग उपस्थित थे. गोष्ठी का संचालन इकाई के अध्यक्ष रामस्वरूप दीक्षित ने किया.