नई दिल्लीः कोरोना काल की आपाधापी और भय छंटने के साथ ही हिंदी साहित्य की गतिविधियां तेज हो गई हैं. इसमें साहित्यिक मेले के साथ-साथ पुरस्कार समारोहों ने भी जोर पकड़ लिया है. इसी तरह का एक आयोजन स्थानीय हिंदी भवन सभागार में प्रकाशक इंडिया नेटबुक्स और बीपी फाउंडेशन द्वारा कराया गया. इस दौरान वार्षिक साहित्य सम्मान समारोह में वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया को उनके समग्र साहित्य के लिए 'वेदव्यास सम्मान' से नवाजा गया. उनके अलावा साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, समाज सेवा और कुछ दूसरे क्षेत्र से जुड़े कुल 28 लोगों को पुरस्कार प्रदान किया गया. सम्मान पाने वालों में कालिया के अलावा फारुख आफरीदी, दिलीप तेतरबे, डॉ शशि सहगल, मीनाक्षी गोयल, नीरज दइया, रजनी छाबड़ा, सुशांत सुप्रिय, विनोद शाही, चंद्रकांता, निर्मला सिंह, राजेश्वरी मंडोरा आदि शामिल हैं.
ममता कालिया ने पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा कि हमें यदि अच्छा और निर्भय समाज बनाना है, तो साहित्यकारों को भी अपनी दृष्टि चौड़ी करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदी में बहुत अच्छा लिखा जा रहा है, लेकिन उसका सही अनुवाद विश्व के अन्य देशों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इसीलिए हमारे लेखन से विश्व परिचित नहीं है. हमें स्तरीय अनुवाद पर भी जोर देना चाहिए, ताकि बड़े पैमाने पर हिंदी साहित्य की पहुंच बने. इंडिया नेटबुक्स से जुड़े डॉ संजीव कुमार ने अपने प्रकाशन संस्थान एवं अन्य अनुषंगी संस्थानों का परिचय दिया और प्रवासी भारतीयों के साहित्य के प्रकाशन पर जोर दिया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनोरमा ने किया. इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम जनमेजय सहित साहित्य और पत्रकारिता जगत से जुड़े कई लोग उपस्थित थे.