भोपाल: राष्ट्रीय चेतना की सजग कवयित्री; स्नेह, सेवा और संघर्ष की त्रिवेणी सुभद्रा कुमारी चौहान ने बाल कविताओं से लेकर राष्ट्रीय कविताओं तक अपनी प्रतिभा का सौरभ बिखेरा है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित पूरे देश ने उन्हें याद किया. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के शहीद भवन में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित 'स्मरण: सुभद्रा कुमारी चौहान' कार्यक्रम में इस कालजयी कवयित्री द्वारा रचित देशभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति ने सभागार में मौजूद श्रोताओं में जोश का संचार कर दिया. स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला अंतर्गत सुभद्रा कुमारी चौहान की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम की शुरुआत सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर रचना, बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी… से हुई तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा. इसके पश्चात वीरों का कैसा हो वसंत… की  कलाकारों ने जिस कर्णप्रिय संगीत एवं जोशीले अंदाज में प्रस्तुति की उसने मानो झांसी की रानी की वीरता और बहादुरी को ही साकार कर दिया. यह कदम्ब का पेड़… सुनकर भी श्रोता वाह-वाह कर उठे.
इस कार्यक्रम में हालांकि कलाकारों ने सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं के साथ ही कबीर, मीरा, बंकिमचंद्र चटर्जी, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, श्यामलाल गुप्ता, रामप्रसाद बिस्मिल, दुष्यंत कुमार जैसे कालजयी रचनाकारों की रचनाओं को शामिल करते हुए देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों के साथ ही 'पग घुंघरू बांध…', 'बाढ़ की संभावना…', 'कहां तो तय था चिरागां…', 'गहन ये अंधकार है…' जैसे अमर गीतों को संगीतकार-गायक विकास सिरमोलिया, सहगायक अंकु शुक्ला एवं उनके साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया. एक अन्य कार्यक्रम में महिला काव्य मंच की भोपाल इकाई ने अपना तीसरा वार्षिकोत्सव ऑनलाइन कविता गोष्ठी के साथ मनाया. उनके इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश की सभी छह इकाइयों ने सहभागिता की. कार्यक्रम के प्रथम भाग का संचालन साधना श्रीवास्तव ने किया. पटल पर उपस्थित सभी अतिथियों तथा प्रत्येक प्रतिभागी को उन्होंने कविता की पंक्तियों से आमंत्रित किया. मुख्य अतिथि के रूप में महिला काव्‍य की मार्गदर्शक नियति गुप्ता मौजूद थीं. इस कार्यक्रम में कुल 38 महिला रचनाकारों ने शिरकत की. यह खुशी की बात है कि कोरोना के कहर के लंबे समय बाद नगर में एक बार फिर गीत-संगीत और साहित्य के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं.