फारबिसगंजः स्थानीय पीडब्लूडी परिसर में इन्द्रधनुष साहित्य परिषद द्वारा महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई. समारोह की अध्यक्षता डॉ डीएल दास दिव्यांशु ने की. संचालन सुनील दास ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत महाकवि निराला की तस्वीर पर श्रद्धासुमन और  बालक प्रशान्त कुमार द्वारा एक भक्ति गीत से हुई. फिर बाल साहित्यकार हेमन्त यादव शशि ने निराला  के साहित्यिक सफर की चर्चा की. उन्होंने कहा कि निराला वस्तुत: जन्मजात कवि थे. नौवीं कक्षा में आते-आते वे अवधी और ब्रज भाषा में पद लिखने लगे थे. 14 वर्ष की अवस्था तक वे संस्कृत में भी पद लिखने लगे थे और आगे चलकर खड़ी बोली के सशक्त काव्यकार के रूप में प्रसिद्ध हुए. प्रधानाध्यापक हर्ष नारायण दास ने कहा कि 'जुही की कली' निराला की प्रथम रचना है. हिंदी सेवी अरविन्द ठाकुर ने कहा कि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला अपने काव्य की जीवन्त सामर्थ्य के कारण महाप्राण निराला के नाम से हिंदी साहित्य में प्रतिष्ठित हैं.
इन्द्रधनुष साहित्य परिषद संस्था के सचिव विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि निराला की पहली कविता जन्मभूमि प्रभा नामक मासिक पत्रिका में जून 1920 ई. में और पहला कविता संग्रह 1923 ई. में अनामिका नाम से छपा था. सभाध्यक्ष डॉ दास ने निराला रचित 'भिक्षुक' कविता की चर्चा की और अपनी मनपसंद कविता बताया. प्रोफेसर परमेश्वर प्रसाद साह ने माता पिता की उपेक्षा पर एक स्वरचित मार्मिक कविता सुनाई. आशु कवि विजय बंसल और संचालक सुनील दास ने भी कविता पाठ किया. कार्यक्रम के दौरान हाजीपुर में सम्मानित हुए बाल साहित्यकार हेमन्त यादव शशि का उपस्थित साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों ने माला पहनाकर अभिनंदन किया. इस अवसर पर ब्रजेश राय, पलकधारी मंडल, आलोक दुगड़, विमल दूबे, मनीष राज, फुलेश्वर प्रसाद मोदी, तारानन्द मंडल सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी और पत्रकार उपस्थित थे.