नई दिल्लीः राजधानी में सक्रिय साहित्यिक केंद्र 'मुक्तांगन' ने हरिशंकर परसाई के रचनाकर्म पर एक साहित्य संध्या का आयोजन किया. मुक्तांगन-कविता कोश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'कुछ आपकी-कुछ हमारी' श्रृंखला की पांचवी कड़ी में वक्ताओं ने हरिशंकर परसाई को याद करते हुए उनकी प्रासंगिकता, उनके विचार और उनके लेखन को नमन किया. कार्यक्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार और संपादक प्रेम जनमेजय ने आज का समय और परसाई पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि परसाई के व्यंग्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे.
उसको भविष्य ने निगल लिया
है ज्ञान, सत्य ही श्रेष्ठ किंतु
जूठन खाया तो क्या खाया?
युवा व्यंग्य आलोचक एम एम चंद्रा ने परसाई की रचना 'जाति क्यों नहीं जाती' का अंश पाठ किया और परसाई को आज के संदर्भ में रेखांकित किया. कवि और व्यंग्यकार डॉ लालित्य ललित ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में 'पांडेय जी कैसे हैं' का पाठ किया. लोकप्रिय गीतकार और कवि नीलोत्पल मृणाल ने कविताएं सुनाईं तो दुबई से आईं नेहा शर्मा ने व्यंग्य पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन युवा कवि और व्यंग्यकार रणविजय राव ने किया. इस अवसर पर उन्होंने अपनी व्यंग्य रचना 'लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन' का पाठ भी किया. कार्यक्रम की संयोजक और समन्वयक आराधना आशीष प्रधान ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया. श्रोताओं में मृदुला प्रधान, कविता कोश के डॉ ललित कुमार और शारदा, डॉ संजीव, भसीन, राजेश मांझी और राकेश वैद के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर व कई साहित्यकार उपस्थित थे.