पटना: बिहार सरकार और नवरस स्कूल फरफॉर्मिंग आर्टस और दैनिक जागरण के सहयोग से आयोजित  पटना  साहित्य महोत्सव की शुरुआत शुक्रवार को पटना के ज्ञान भवन में हो गई है। साहित्य महोत्सव का आरंभ दिवंगत साहित्यकारों को श्रद्धांजलि से हुआ।

कवि आलोकधन्वा  ने केदारनाथ सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा " सौंदर्य मानवता के बगैर कुछ नहीं है। केदार जी स्थितप्रज्ञ थे। जितनी करुणा थी केदार जी में, जितने उनके काव्य अनुभव हैं वो किसी  दूसरे के पास  नहीं है। केदार जी के पास अत्याधुनिक भाषा थी। वे नेटिव और सेंसुअस  कवि थे। उनको पढ़ने से मकरंद ,पराग हाथ में लग जाता है।  पढ़ने से  मौलिक शक्ति मिलती है।

उषाकिरण खान ने  कृष्णा सोबती  को याद करते हुए कहा कि जो एक छत्र था वो चला गया। तारानंद वियोगी ने  प्रफुल्ल सिंह मौन को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि 'वो गांव के लोगों के बीच जाकर अध्ययन कर रिपोर्ताज लिखा करते थे। लोकपरंपरा के लिए मौन जी ने पूरा जीवन समर्पित  किया। बिहार के विभिन्न जीवन की कहावतों, खेलों आदि का   संकलन किया साथ ही बौद्ध व  जैन साहित्य का संकलन किया।' 

 रमादास  ने  अन्नपूर्ण देवी  पर बोलते हुए कहा " स्त्री शक्ति का बहुत बड़ा उदाहरण है।  मैहर घराने  की इस बेटी का जन्म  मैहर में हुआ था। उन्होंने वर्षों तक अल्लाउद्दीन खां से कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया। शास्त्रीय संगीत में रागों को जैसे उनके गुरु ने दर्जा दिया था उन्होंने वैसे ही आगे पढ़ाया। वे  सुबह तीन बजे से सूर्योदय तक रियाज करती थी। एक महिला के  रूप में कई  कीर्तिमान गढ़े।  उनके समय लड़कियों के संगीत सीखने और पाबन्दी थी लेकिन उन्होंने स्वाभिमान  के साथ अपने शौक को आगे बढाया।

क़ासिम ख़ुर्शीद  ने  पाकिस्तान की कवयित्री फहमिदा रियाजद को श्परद्रधांजली दी।  पवन वर्मा ने अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धासुमन अर्पित किए वहीं त्रिपुरारी शरण  ने  अमिताभ कुमार  का वी.एस. नायपॉल पर लिखा श्रद्धांजलि लेख पढ़ा।