'कुलदीप नैयर हमारे समय के बहुत बड़े बौद्धिक थे. अपने विचारों में स्पष्ट और निडर, उनका काम कई दशकों को प्रभावित करने वाला रहा. आपातकाल के खिलाफ उनका दमदार विरोध, सार्वजनिक सेवा और बेहतर भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को हमेशा याद किया जाएगा. उनकी मृत्यु से मैं दुखी हूं. मेरी संवेदना'. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह श्रद्धांजलि संदेश कुलदीप नैयर की अहमियत बताने के लिए पर्याप्त है. वह वरिष्ठ पत्रकार थे, और 95 साल की उम्र में नई दिल्ली में उनका निधन हो गया. 

 

कुलदीप नैयर पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में काफी प्रतिष्ठित नाम थे. उनके स्तंभ हिंदी के चर्चित अखबारों सहित देश की लगभग चौदह भाषाओं के कुल अस्सी अखबारों में निरंतर छपते रहे. वह भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई साल तक कार्य करने के बाद समाचार एजेंसी यूएनआई, पीआईबी, 'द स्टैट्समैन', 'इंडियन एक्सप्रेस' के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे. पच्चीस सालों तक वह 'द टाइम्स' लंदन के संवाददाता थे. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जिसमें बिटवीन द लाइन्स, डिस्टेंट नेवर: ए टेल ऑफ द सब कॉन्टीनेंट, वॉल एट वाघा, इंडिया पाकिस्तान रिलेशनशिप आदि शामिल हैं.

 

देश में उनके सम्मान को ऐसे समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक विचारधारा के कट्टर आलोचक होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत जून माह में आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम में उनकी तारीफ की तो खुद नैयर भी चकित रह गए थे. प्रधानमंत्री ने कहा था, 'उनके जैसे कई लोग हमारे समर्थक नहीं रहे हैं. नैयर मेरे आलोचक रहे हैं. लेकिन उन्होंने लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी है, इसलिए मेरा उनको सलाम है.' नैयर इस उम्र में भी काफी सक्रिय थे. हाल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी 'संपर्क फॉर समथर्न' कार्यक्रम के तहत उनसे मिले थे. इस मुलाकात के बाद नैयर ने कहा था, 'हमारे विचार नहीं मिलते. हमारे विचार अलग हैं. लेकिन आपस में हमने कई चीजों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. 

 

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करने के साथ वे 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल सदस्य थे. 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया और अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया. कुलदीप नैयर को नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी की ओर से 'एल्यूमिनी मेरिट अवार्ड', रामनाथ गोयनका लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, सिविक पत्रकारिता के लिए प्रकाश कार्डले मेमोरियल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था.

 

जागरण हिंदी की ओर से कलम के इस योद्धा को श्रद्धांजलि!