नई दिल्लीः माटी की सुगंध संस्था के तत्वावधान में मां पर डिजिटल कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता कवि, गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने की. संचालन कवयित्री डॉ वीणा अग्रवाल ने किया. मुख्य अतिथि थे कवि पवन कुमार 'पवन'. कवयित्री मोनिका शर्मा की मां सरस्वती की वंदना से कवि सम्मेलन का शुरू हुआ. अध्यक्ष डॉ जय सिंह आर्य ने कहा कि मां की महिमा अपरम्पार है. मां को यदि समझना है तो मां ही बनना पड़ेगा. जब ईश्वर सब जगह उपस्थित नहीं हो सकते थे तब ईश्वर ने मां को बनाया. इस अवसर पर उन्होंने गीत पढ़ा –
मां के आशीर्वाद को बस तू अमृत जान
इस अमृत का हर घड़ी कर ले तू रसपान ..
कोरोना समय में माता समझी जाने वाली तुलसी पर लिखी अपनी प्रसिद्ध रचना भी उन्होंने पढ़ी-
हर मौसम में साथ निभाना तुलसी मां
हर घर में हो तेरा ठिकाना तुलसी मां…
कवि पवन कुमार 'पवन' ने पढ़ा-
मां के आशीर्वाद से बन जाते सब काम
मां के चरणों मे समझ सारे तीर्थ धाम…
कवि डॉ सतीश वर्द्धन ने पढ़ा-
कभी आंगन की मिट्टी से लिपट कर देख तो लेना.
कलेजे से पिताजी के चिपट कर देख तो लेना..
दर्द कैसा भी हो प्यारे बड़ा आराम आएगा.  
जरा मां के तू आंचल में लिपट कर देख तो लेना…

कवि सुदेश यादव दिव्य ने पढ़ा-
वही दुख मां को देता है जिसे मां पास रखती है
उसी से दर्द कहती है उसी से आस रखती है .
अगर बीमार हो जाये दवाई तक नहीं लाता.
मां फिर भी उसकी खातिर उपवास रखती है…
कवयित्री डॉ वीणा अग्रवाल ने पढ़ा-
कोई नहीं है इस दुनिया मे जो मां के जैसा प्यार दे.
सारे दोष क्षमा कर दे और ममता अपनी वार दे…
कवि हरेंद्र प्रसाद यादव फकीर ने पढ़ा-
मां की ममता कितनी प्यारी कितनी न्यारी होती है.
तेरे ही चरणों मे माता दुनिया सारी होती है…
कवि डॉ जय प्रकाश मिश्र ने पढ़ा-
उनका साथ हो न हो मगर अहसास होता है .
लगता है कि सांसों में उन्हीं का वास होता है.
मुसीबत के पर्वत भी वहीं पर सिर झुकाते हैं .
जिसके शीश पर मां का आशीर्वाद होता है.
कवयित्री सीमा विजयवर्गीय ने पढ़ा-
डरी-डरी सहमी रहती बूढ़ी मां.
कोई बात नहीं करती है बूढ़ी मां.
बेटे बहुत सयाने निकले हैं उसके
क्या कहना चुप ही रहती है बूढ़ी मां…
कवि मनोज मिश्रा कप्तान ने पढ़ा, एक दृष्टि में कहूं तो सृष्टि के विकास हेतु आदि से ही अंत तक मां तेरा उपकार है. कवयित्री मोनिका शर्मा ने पढ़ा कि मां तुमने मुझे इतने तजुर्बे से भर दिया. जितनी मेरी उम्र न थी मुझे उतने का कर दिया. इस अवसर पर गाफिल स्वामी, तेजवीर त्यागी और सुरेंद्र खास ने भी काव्य पाठ कर कवि सम्मेलन को सार्थक बनाया.