नई दिल्लीः क्षमावाणी पर्व के समापन पर स्थानीय पालम गांव में जैन समाज द्वारा 'विराट कवि सम्मेलन' आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने की. संचालन रसिक गुप्ता ने किया. मंच पर महिला कवयित्री के रूप में एकमात्र मौजूदगी मंजू शाक्या की रही, पर उन्होंने अपने बेहतरीन काव्यपाठ से रंग जमा दिया. डॉक्टर राहुल जैन ने नमोकार व क्षमा वाणी पर रचनाएं सुनाईं, तो श्रृंगार के युवा कवि मेघ श्याम मेघ ने सौंदर्य पर समां बांध दिया. संयोजक युवा कवि धर्मेंद्र जैन लवली ने राम जन्मभूमि पर सुनाये गीत ने वातावरण को राममयी बनाया, तो हास्य व्यंग्य के धुरंधर रसिक गुप्ता ने अपनी कविताओं से सभी को हँसा-हँसाकर लोट पोट कर दिया. अध्यक्षता कर रहे डा. जयसिंह आर्य ने अपने गीत, मुक्तक व दोहों की बयार से हाल को ताकियों की गड़गड़ाहट से गूंजा दिया. बानगी देखें-


बेसहारों का तू सहारा है
डूबती नाव का किनारा है
तूने उसका नसीब बदला है
जिसने दिल से तूझे पुकारा है


उनके सुनाये गीत थे:

चल मुसाफ़िर साथ चल, चल मुसाफ़िर चल
मानवता के पावन पथ पर लिए हमारा हाथ चल
जानबूझकर कर पाप न कर
इस जीवन को भाप न कर
करनी फल तो मिलना है
पीड़ा का आलाप न कर
चलना है तो सतकर्मों की लेकर तू सौग़ात चल

चल मुसाफ़िर साथ चल, चल मुसाफ़िर साथ चल…

 

आदि रचनाओं ने सभी को राष्ट्र और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया.