नई दिल्लीः स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष में दुनिया के सबसे बड़े हिंदी समाचारपत्र दैनिक जागरण ने राजभाषा हिंदी को जनभाषा और राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य से अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया. यह आयोजन दैनिक जागरण के अपनी भाषा हिंदी को समृद्ध करने के उपक्रम 'हिंदी हैं हम' अभियान का एक हिस्सा था. इस निबंध प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में हिंदी लेखन का विकास करना और भविष्य में उन्हें हिंदी देवी के रूप में तैयार करना भी था. इस प्रतियोगिता के विजेताओं की बातें इस बात को बताती हैं कि जागरण अपने इस मिशन में सफल रहा. दैनिक जागरण की अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता की महाविद्यालय श्रेणी के विजेता सरताज को ही लें, तो कुरुक्षेत्र के सलपानी कलां में उनका जन्म हुआ. सरताज ने कोरोना काल में घर पर खाली बैठने की बजाय निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. गत वर्ष कोरोना काल में उन्होंने लगातार 20 निबंध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. पर दैनिक जागरण के निबंध प्रतियोगिता की बात ही अलग है. महाविद्यालय श्रेणी में उन्होंने देश भर में प्रथम स्थान हासिल किया है. उनको पुरस्कार स्वरूप पचहत्तर हजार रुपए दिए जाएंगे.
सरताज के मुताबिक उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक है. मारकंडा नेशनल कॉलेज में पहुंचने के बाद उनके इस शौक को डॉ शालिनी शर्मा ने पंख लगा दिए. उन्होंने सरताज को अखबारों में अपने लेख भेजने के लिए प्रेरित किया. बीए अंतिम वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते उसने निबंध लेखन में कई अवार्ड हासिल किए. सरताज के पिता सरदार गुरनाम सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं और उनकी माता परमजीत कौर गृहिणी हैं. परिवार ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया और काम की सराहना की. यही वजह है कि सरताज अब तक निबंध लेखन की विभिन्न प्रतियोगिताओं में 70 से अधिक पुरस्कार जीत चुके हैं. इसके अलावा 40 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शोधपत्र प्रस्तुत कर चुके हैं. सरताज ने शाहाबाद के मारकंडा नेशनल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है और अब वह पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं. दैनिक जागरण निबंध प्रतियोगिता की सहयोगी है कोलकाता की हिंदी सेवी संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन और श्री सीमेंट.