नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ग्वायर हॉल के अटल स्मृति सभागार में आयोजित 'लेखक से संवाद' कार्यक्रम के दौरान यूरोप में हिंदी का झंडा बुलंद करने वाले कथाकार तेजेन्द्र शर्मा एवं प्रख्यात शिक्षाविद और हिंदी सेवी डॉ रमा को प्रथम सुषमा स्वराज स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया. इन दोनों शख्सियतों को यह सम्मान शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया. डॉ रमा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज की प्राचार्य हैं और उनकी नुमाइंदगी में यह विद्यालय साहित्यिक गतिविधियों के एक बड़े केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है. अभी हाल में ही डॉ रमा के संयोजन में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था, जिसमें भारत सहित दुनियाभर के बीस से भी अधिक देशों के साहित्यकार, लेखक, कथाकार, पत्रकार और शिक्षाविद जुटे थे.


इसी तरह तेजेंद्र शर्मा प्रवासी साहित्यकारों में सबसे लोकप्रिय कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं. अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित तेजेन्द्र शर्मा भारतीय साहित्य जगत का एक जाना – पहचाना नाम हैं. 'काला सागर', 'ढिबरी टाईट', 'देह की कीमत', 'ये क्या हो गया', 'पासपोर्ट के रंग', 'बेघर आंखें', 'सीधी रेखा की परतें', 'कब्र का मुनाफा', 'प्रतिनिधि कहानियां', 'मेरी प्रिय कथाएं' और 'दीवार में रास्ता' नामक कहानी संकलनों और कविता एवं गजल संग्रह 'ये घर तुम्हारा है' से उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई. कुछ धारावाहिक भी लिखे और कई सम्मान भी हासिल किया. उनके लेखन कर्म पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध भी हुए हैं.  विश्व हिंदी साहित्य परिषद और कई साहित्यकारों ने उन्हें बधाई देते हुए ग्वायर हॉल छात्रावास के प्रॉक्टर डॉ अजय कुमार शर्मा एवं छात्र संघ के अध्यक्ष का आभार प्रकट किया है, जिन्होंने सुषमा स्वराज की स्मृति में इस सम्मान को शुरू किया.