नई दिल्लीः गायक कैलाश खेर 'शब्द उत्सव' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में टीवी पत्रकार अनुराग पुनेठा से रूबरू हुए और कई मसलों पर खुलकर बात की. खेर ने कहा कि हमारे यहां फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे माध्यम तो आ गए पर वहां क्या लिखना है यह नहीं पता. हमें अब तक जो शिक्षा मिली है वह देश को तोड़ने वाली है. नई शिक्षा नीति बच्चों को देश की जड़ों से जोड़ेगी. उन्होंने आधुनिक विकास के लिए भारतीय शिक्षा को उत्तरदायी बताया और सवाल किया कि कुछ हजार वर्ष पूर्व तक हमारे पास जो ज्ञान था वह कहां चला गया? उन्होंने कहा कि हमारी आधुनिक शिक्षा पद्धति ने हमें अपनी संस्कृति और धर्म पर शर्म करना सिखाया, यही कारण है कि बड़े-बड़े कलाकार अपनी संस्कृति पर बात करने में हिचकते हैं. उन्होंने पारिवारिक व्यवस्था पर बल देते हुए कहा कि यह बहुत जरूरी है कि परिवार एक साथ रहें. यह पूछे जाने पर कि उन्हें सच बोलने में भय नहीं लगता, उन्होंने कहा कि वह डर से ऊपर हैं, और इस इंडस्ट्री में आपको क्या चाहिए यह आप पर निर्भर करता है. उन्होंने राम के आदर्शों पर बात करते हुए कहा कि राम इसलिए आदर्श हैं क्योंकि जब वह वध करने जा रहे होते हैं तब भी वह यही प्रार्थना करते हैं कि उनके शत्रुओं को सद्गति दें. 

कैलाश खेर ने कहा कि अभी भी हिन्दुओं का उपहास करने वाली फ़िल्में बन रही हैं. जब बड़े अपने बच्चों को कान्वेंट में पढ़वा रहे हैं, और संस्कृति से दूर कर रहे हैं, तब आपके बच्चे ग्रीस गॉड को ही तो मानेंगे.  उन्होंने कहा कि फिल्मों में हिन्दुओं को तो बलात्कारी दिखाया जाता है, मगर ईसाई और मुसलमानों को हमेशा श्रेष्ठ दिखाया जाता है. पर हमें वेदों एवं भारतीय मूल्यों के अनुसार काम करना है. उन्होंने कहा कि निराश नहीं होना है. पहला गाना शाहरुख खान के लिए गया, मगर वह गाना कहां स्वाहा हुआ पता नहीं चला. फिल्म आई तो मेरी जगह किसी और का नाम था. इसलिए उन्होंने कहा कि यहाँ पर मोह नहीं करना. भारतीय आहार के विषय में कैलाश ने कहा कि यदि हम दूध और दही और देसी खाना खाते रहे तब तक हम ठीक रहे, जब से रसोई बिगड़ा तब से सब कुछ बिगड़ गया. इस डिजिटल चर्चा का आयोजन शब्द उत्सव ने अपने सोशल मीडिया पेज पर किया. शब्द उत्सव पिछले पांच वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला में वैचारिक चर्चाओं का आयोजन करता आ रहा है. अब लॉकडाउन के समय फेसबुक पेज पर कई चर्चाओं का आयोजन करा चुका है. शब्द उत्सव की चर्चाओं में अब तक पीयूष मिश्र, प्रतिभा सिंह बघेल, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, लेखक अमीश त्रिपाठी एवं लोक गायिका मालिनी अवस्थी आदि शामिल हो चुके हैं.