भिलाई: डा संत राम देशमुख की रचनाएं जीवन धर्मी हैं. उनका साहित्य न केवल पठनीय है, बल्कि समाज व संस्कृति को नई दिशा और दृष्टि देने वाला है. वे एक श्रेष्ठ कवि, समीक्षक के रूप में स्थापित है.” यह बात डा इंद्र बहादुर सिंह ने दीपाक्षर साहित्य समिति की ओर से देशमुख की पुस्तकों के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही. अध्यक्षीय उद्बोधन में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति डा विनय पाठक ने कहा कि एक साथ, एक मंच पर देशमुख की दस पुस्तक का विमोचन इसलिए अविस्मरणीय है, क्योंकि उन्होंने कितना प्रचुर साहित्य का सृजन किया है. यह पल साहित्यकारों के सारस्वत आयोजन का दिन है. डा पाठक ने अपने शिष्य संत विमल के साहित्य पर गर्व किया. मुख्य वक्ता डा शंकर मुनि राय ने कहा कि भाईचारे से शुरुआत हुई है. आज यहां किताब का नहीं साहित्य का विमोचन हुआ है. साहित्य नए सबरे का आगमन होता है. लेखक होना अलग बात है. साहित्य सृजन करना अलग बात है.
इस अवसर पर रवि श्रीवास्तव ने कहा कि संतराम देशमुख ने अपने दिवंगत अग्रज बसंत देशमुख के साहित्य को केंद्र में रख समीक्षात्मक पुस्तकें लिखी हैं. अब तक प्रदेश व देश में अनगिनत कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला, पर यह पहला कार्यक्रम है जहां एक साहित्यकार की कुल नौ पुस्तकों के विमोचन में शामिल हुआ. दुर्ग के एक होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में डा संतराम देशमुख विमल लिखित बसंत देशमुख की वागियभुति, कविता संग्रह गतिचक्र, डा शिव मंगल सिंह मंगल का काव्य विमर्श, कविता संग्रह बंधु ! कितनी दूर शेष, त्रिवेणी, साहित्य का सामाजिक स्वरूप और दादू लाल जोशी की रचना धर्मिता, गजल संग्रह दस्ता, लैगिंग दिव्यता की कविताएं अपनी तलाश, कविता संग्रह समर्पित सरगम का विमोचन किया गया. समारोह में मुख्य अतिथि डा इंद्र बहादुर सिंह की किताब भाषा के विविधरूप और लघु पत्रिका को डा दादू लाल जोशी फरहद का प्रदेय का विमोचन भी हुआ. विमोचन समारोह में डा ए के यदु, शिरोमणि माथुर, रामेश्वर शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए.