नई दिल्ली: पद्मभूषण से अलंकृत भारतीय शास्त्रीय संगीत के किराना घराने की दिग्गज गायिका डाक्टर प्रभा अत्रे के निधन से संगीत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर छा गई. अत्रे ने 92 वर्ष की अवस्था में पुणे में अंतिम सांस ली. दुखी होने वालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं. अपनी एक्स पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘डा प्रभा अत्रे भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक महान हस्ती थीं, जिनके काम की न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रशंसा की गई. उनका जीवन उत्कृष्टता और समर्पण का प्रतीक था. उनके प्रयासों ने हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने को बहुत समृद्ध किया है. उनके निधन से दुख हुआ. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति.‘ याद रहे कि प्रभा अत्रे कानून से स्नातक तो थीं ही, उन्होंने विज्ञान की भी पढ़ाई की थी. लेकिन इन दोनों विषयों में उनका मन नहीं रमा. भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए यह शोक का समय है. एक सप्ताह के भीतर ही पहले 55 साल की अवस्था में उस्ताद राशिद खान चले गए और फिर प्रभा ताई चली गई.
अपने प्रशंसकों के बीच प्रभा ताई के रूप में लोकप्रिय प्रभा अत्रे कहती भी थीं कि वो संगीत के लिए ही बनी हैं. एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि विज्ञान की पढ़ाई में मेंढक-काक्रोच और जानवरों की चीरफाड़ करना और कानूनी पेशे में जानते-बूझते हुए किसी अपराधी का बचाव करना, ये दोनों बातें उनके स्वभाव में थी ही नहीं. लिहाजा सब कुछ छोड़कर संगीत में आईं और यहीं रम गईं. प्रभा अत्रे का जन्म 13 सितंबर, 1932 को पुणे में हुआ था. पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित अत्रे को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अलावा अनेक पुरस्कार, सम्मान और अलंकरण मिले थे. दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में उन्होंने शास्त्रीय संगीत पर आधारित 11 पुस्तकों का एक ही मंच पर लोकार्पण कर विश्व कीर्तिमान बनाया था. बचपन में पंडित विजय करंदीकर से फिर किराना घराने के पंडित सुरेश बाबू माने और फिर हीराबाई बड़ोदेकर से गायिकी की बारीकियां सीखने वाली प्रभा ताई अपनी गायिकी पर उस्ताद बड़े गुलाम अली खान और उस्ताद अमीर खान के प्रभाव को स्वीकार करती थीं.