जयपुर: जयपुर काव्य साधक एवं समरस साहित्य सृजन संस्थान की स्थानीय इकाई की 12वीं मासिक काव्य-गोष्ठी कवि अरुण ठाकर के निवास पर संपन्न हुई. गोष्ठी की शुरुआत मीता भारद्वाज की सरस्वती वंदना ‘विद्यादायिनी हे मां, हमें विद्या का वर देना… वीणा वादिनी हे मां, तिमिर अंतर का हर लेना. तुम हो श्वेतवसना मां, किया है वेद को धारण, करें नित ज्ञान का अर्जन, हमें प्रज्ञा प्रखर देना…‘ इसके बाद मुख्य अतिथि डा सत्य नारायण शर्मा ने श्री राम पर लम्बी कविता, ‘मरुधरा में जो सावण की बरसात हो, गीत गजलों से जो दिल की पहचान हो‘ और ‘जहरीले नागों से क्यों मूर्छित हिंदुस्तान रहा‘ सुनाकर भाव विभोर कर दिया. गोपकुमार मिश्र ने ‘केवट संवाद‘ सवैया छंद में सुनाया ‘मागति नांव न लावति केवट, बोलहि बोल सप्रेम बनाई, काठ तरी घरनीं बनि जाहि न, धूलि पगा रज चंदन पाई, हे हरि देहु, न पांय पखारन, बादि चढ़ावहुं नाव मगाई, लौकिक दृश्य अलौकिक लागहि, आपु चढो हरि नांव चढ़ाई.‘ समरस साहित्य सृजन संस्था के अध्यक्ष लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला ने अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा पर गीत पढ़ा, ‘सूर्य वंश के दशरथ नंदन, जग-जग के है राम-दुलारे. पलक पावड़े यहां बिछाये, आतुर है दर्शन को सारे.. प्राण प्रतिष्ठा को आतुर हैं, सजी अयोध्या नगरी सारी. राम नाम ही सत्य जगत में, जय जय जय श्री राम उचारे…‘
रितेश कुमार शर्मा ने प्रभु श्री राम पर सुंदर भजन तो डा एनएल शर्मा ने गजल-गीतिका प्रस्तुत की. कल्पना गोयल ने, ‘सखी री चलो अयोध्या धाम‘ गीत से आह्वान किया, तो अरुण ठाकर ने ‘करी प्रतीक्षा प्रतिपल रघुवर की, कब राम हमारे घर लौटे‘ सुनाकर माहौल को भक्तिमय कर दिया. उपाध्यक्ष राव शिवराजपाल सिंह ने ‘भाग्यशाली है आज की पीढ़ी बताते कवि‘ पढ़ी तो श्याम सिंह राजपुरोहित ने ‘जीवन है कितना अनजाना‘ शीर्षक से रचना सुनाई. डा निशा अग्रवाल ने ‘मच रही धूम अभिनंदन की, अवध में प्रभु राम आये हैं,’ रचना सुनाई, तो बनवारी लाल शर्मा ने कृषकों की समस्या पर ‘रोजड़ी गीत‘ सुनाया. वैद्य भगवान सहाय पारीक ने, ‘कौशल्या नन्दन राम जी हमारे है, दशरथ नन्दन श्री राम जी हमारे है‘ सुनाया. सोहन प्रकाश सोहन ने पढ़ा, ‘जिसका घर था उसे मिल गया, जीत सत्य की हो पाई‘ सुनाया, तो गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे किशोर पारीक ‘किशोर‘ ने, ‘है मनुज से ईश, बनने की कथा ये, राम जी करुणानिधि सारे जगत के‘ सुनाकर भक्तिमय रस बिखेरा. संयोजक अरुण ठाकर ने आभार व्यक्त किया. संचालन समरस साहित्य सृजन संस्थान की महासचिव डा निशा अग्रवाल ने किया.