नई दिल्ली: “हमारी प्राचीन चिकित्सा परम्पराओं में उपलब्ध ज्ञान का, आधुनिक विज्ञान की मान्यताओं के अनुसार परीक्षण करें, तथा तर्क-संगत परम्पराओं को आगे बढ़ाएं. विलुप्त हो रहे लाभदायक उपचारों को पुनः प्रसारित करके आप सब, समाज की तथा चिकित्सा विज्ञान की अमूल्य सेवा कर सकते हैं.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु यह बात एम्स मंगलगिरि के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. एम्स संस्थानों को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान कहा जाता है. स्वास्थ्य रक्षा की हमारी परंपरा के अनुसार आयुर्वेद अथवा आयुर्विज्ञान में अच्छे आहार-विहार तथा दिनचर्या और ऋतुचर्या पर जोर दिया गया है. इस प्रकार की विकार-मुक्त जीवन-शैली के बल पर मनुष्य दीर्घायु भी होता है और स्वस्थ भी रहता है. राष्ट्रपति ने कहा कि पश्चिमी देशों के विशेषज्ञ, जिनमें डाक्टर भी शामिल हैं, अनेक अध्ययन प्रकाशित कर रहे हैं जिनके विषय को दीर्घायु का विज्ञान कहा जा रहा है. यह दीर्घायु का विज्ञान आयुर्विज्ञान का आधुनिक रूप है. हमारी परंपरा में आयु और आरोग्य अर्थात दीर्घायु होने और रोग-मुक्त एवं स्वस्थ रहने की प्रार्थना की जाती है. आयु और आरोग्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि यह समग्र स्वास्थ्य यानी सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान देने की पद्धति है. आपके इस संस्थान का ध्येय वाक्य समग्र स्वास्थ्य देखभाल तथा सभी के लिए स्वास्थ्य की देखभाल के आदर्शों से प्रेरित है. ‘सकल स्वास्थ्ये सर्वदा’, यह आपके संस्थान का उच्च आदर्श है. राष्ट्रपति ने कहा कि समग्र स्वास्थ्य का अनवरत प्रचार और सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करना इस संस्थान के प्रत्येक चिकित्सा पेशेवर का मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए. समग्र स्वास्थ्य के प्रसंग में, योगासन तथा प्राणायाम की पद्धतियों को आधुनिक दृष्टिकोण से भी स्वीकार किया गया है. राष्ट्रपति ने कहा कि आप सब तीन सामान्य बातों पर हमेशा ध्यान देंगे तो आप सफलता और सम्मान अवश्य अर्जित करेंगे. पहली बात है, सेवा उन्मुखीकरण यानी सेवा भावना. दूसरी बात है,सीखने की दिशा यानी हमेशा सीखते रहने का उत्साह. तीसरी बात है, अनुसंधान उन्मुखीकरण यानी कुछ नया अनुसंधान करने की आकांक्षा.