नई दिल्लीः कनॉट प्लेस स्थित ऑक्सफ़ोर्ड बुकस्टोर में चर्चित साहित्यकार और कवि कुंवर नारायण की कहानियों के अंग्रेजी अनुवाद 'द प्ले ऑफ़ डॉल्स' पर एक गोष्ठी आयोजित हुई, जिस में कई साहित्यिक हस्तियों ने शिरकत की. कार्यक्रम में कवयित्री अनामिका के साथ ही कुंवर नारायण की कविताओं के भिन्न भाषी अनुवादक भी शामिल थे. याद रहे कि ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित कुंवर नारायण के वर्ष 1973 में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुए कहानी संग्रह 'आकारों के आसपास' का अंग्रेजी अनुवाद 'द प्ले ऑफ़ डॉल्स' नाम से पेंगुइन से प्रकाशित हुआ है. इस संग्रह का अनुवाद कुंवर नारायण के पुत्र और प्रतिष्ठित अनुवादक अपूर्व नारायण व फुलब्राइट स्कोलर जॉन वेटर ने किया है. अपूर्व ने न सिर्फ अपने पिता के कहानियों का अनुवाद किया, बल्कि एक समीक्षक की दृष्टि से उसका मूल्यांकन भी किया. अपूर्व ने बताया कि काफी समय पहले उन्होंने अपने पिता की एक कविता का अनुवाद किया था, जो उन्हें खुद ही मूल से बहुत दूर मालूम हुई तो उन्होंने उसे छपने नहीं दिया. 'द प्ले ऑफ़ डॉल्स' का अनुवाद कई सालों की मेहनत का परिणाम है.
अनुवाद पर आधारित इस सत्र का संचालन यात्रा बुक्स की प्रकाशक और भारतीय अनुवाद परिषद् की संपादक नीता गुप्ता ने किया. नीता स्वयं कई दशकों से अनुवाद से जुड़ी हुई हैं. गोष्ठी में अनुवाद के भिन्न पहलुओं के साथ कुंवर नारायण के लेखन की आधुनिकता और शाश्वतता पर भी चर्चा हुई. अपूर्व नारायण ने कुंवर नारायण को सामाजिक रूप से बागी लेखक कहा. लगभग पचास साल पहले लिखी इन कहानियों में निजता, स्वच्छन्दता, प्रयोगवाद और नारी सक्षमता देखने को मिलती हैं. इस कहानी संग्रह में कुंवर नारायण की मशहूर कहानियां ‘गुड़ियों का खेल’, ‘कमीज’, ‘मुग़ल सल्तनत और भिश्ती’, ‘जनमति’, ‘संदिग्ध चालें’, ‘आत्महत्या’ आदि संकलित हैं. इन कहानियों के शीर्षक से ही विषय की विविधता देखने को मिलती है. दोनों अनुवादकों ने कहानियों को बांटकर उनका अनुवाद नहीं किया है, बल्कि एक साथ मिलकर हर कहानी का अनुवाद किया है| इस प्रक्रिया में उन्होंने अनुवादक की आवाज को दबाकर, उसे लेखक की आवाज़ के करीब ही रखने की कोशिश की है. आज के समय में जब हिंदी पाठकों के बीच बहुत सी अनूदित किताबें पढ़ी जा रही हैं, ऐसे में हिंदी के साहित्यकारों की रचनाओं का अंग्रेजी अनुवाद भी अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचना चाहिए. कुंवर नारायण की कविताएं तो बहुत पहले से अन्य भाषाओं में अनूदित होती रही हैं, लेकिन उनकी कहानियों के संकलन का अंग्रेजी में यह पहला अनुवाद है.