नई दिल्लीः ठंड के बावजूद नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में दर्शकों का उत्साह देखते ही बन रहा है. खास बात यह है कि गांधी मेले के केंद्र में हैं, और मेले की शुरुआत से लेकर स्टॉल और लेखक मंच तक हर जगह उनकी छाप है. याद रहे कि इस वर्ष विश्व पुस्तक मेला 2020 का मूल विषय ‘गांधीः लेखकों के लेखक’ है. महात्मा गांधी एक सफल लेखक, संपादक और प्रकाशक थे. उन्होंने गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखा. उनके लेखन ने न केवल अहिंसा और शांति के उनके दर्शन को प्रतिबंबित किया, बल्कि देश के सामाजिक- आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को भी एक अंतर्दृष्टि दी. जैसा कि मेले के उद्घाटन अवसर पर गांधीवादी विद्वान गिरीश्वर मिश्र ने कहा भी था कि महात्मा गांधी मैन ऑफ सेंचुरी थे. उन्होंने गीता, कुरान और बाइबिल सहित अनेक पुस्तकों के व्यापक अध्ययन के कारण सत्य, शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाया. एनबीटी के अध्यक्ष प्रो. गोविंद प्रसाद शर्मा ने भी उनकी बात की ताकीद की और कहा कि हमारी कोशिश है कि पाठक गांधी पर और पुस्तकों की इस दुनिया के माध्यम से, विभिन्न क्षेत्रों में अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करें.
विश्व पुस्तक मेले की इस वर्ष की थीम में पुस्तक प्रेमियों को इस बात की झलक दिखाने का प्रयास किया गया है कि महात्मा गांधी ने, जो कि एक महान रणनीतिक सम्प्रेक्षक भी थे, कैसे लेखकों को पीढ़ियों तक प्रभावित व प्रेरित किया और कैसे बाद के लेखकों ने उनकी प्रेरणा को अपने लेखन में शब्दों के माध्यम से प्रकट किया. इस मेले में विशेष रूप से तैयार किए गए मंडप में गांधी द्वारा तथा गांधी पर विभिन्न भारतीय भाषाओं में लिखी गई 500 पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इसमें साबरमती आश्रम से प्रेरित विशेष रूप से डिजाइन किए गए मंडप में गांधी द्वारा और विभिन्न भारतीय भाषाओं में 100 प्रकाशकों की 500 पुस्तकों की एक विशेष प्रदर्शनी भी शामिल है. साथ ही महात्मा गांधी पर केंद्रित 30 के करीब पैनल चर्चा भी अपनी रफ्तार से जारी है, जिसमें दर्शकों और श्रोताओं का हुजूम उमड़ता है. गांधी से संबंधित पुस्तकों का विमोचन और गांधी और उनके जीवन से जुड़े विषय से संबंधित प्रदर्शनी में भी भीड़ उमड़ रही है. थीम मंडप में प्रदर्शन के लिए अभिलेखीय सामग्री नवजीवन ट्रस्ट, अहमदाबाद और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई दिल्ली से ली गई हैं. इसके अलावा निजी प्रकाशकों ने भी महात्मा से संबंधित सामग्री को प्रमुखता से रखा है.