भोपालः पुतली कला की खोज मानवजाति के लिए एक उल्लेखनीय एवं महत्त्वपूर्ण अविष्कारों में से एक है. कहा गया है कि पुतली की उपयोगिता उसके लिए अपने जीवन से भी बढ़कर है. भारत में धागा पुतलियों की परंपरा अत्यंत प्राचीन तो है ही, साथ ही समृद्ध भी है. अनेक जोड़ युक्त अंग तथा धागों द्वारा संचालन इन्हें अत्यंत लचीलापन प्रदान करता है. मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र 'राष्ट्रीय पुतुल समारोह' में दिलीप मासूम ने अपने साथी कलाकारों के साथ धागा पुतली शैली में कठपुतलियों का नृत्य प्रस्तुत किया. इस प्रस्तुति में राजस्थानी लोक गीतों पर कठपुतलियों का नृत्य प्रस्तुत किया गया. प्रस्तुति की शुरुआत 'होली में उड़े रे गुलाल' गीत पर कठपुतलियों के नृत्य से हुई. इसके पश्चात् कलाकारों ने 'जल बदली रो साइयाँ पानी' और 'हौजी रे दीवाना' गीतों पर कठपुतली नृत्य प्रस्तुत किया. इसके बाद कलाकारों ने अपने कठपुतली संचालन कौशल से ‘कालबेलिया नृत्य’प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके बाद कलाकारों ने 'अंजन की सीटी में मारो' और 'बनीका मोयारे' गीत पर कठपुतली नृत्य प्रस्तुत किया.
दिलीप मासूम ने अपने साथी कलाकारों के साथ 'पल्लो लटके' गीत पर धागा शैली में कठपुतलियों का नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया. इस प्रस्तुति की समय सीमा लगभग 2 घंटा रही. इस प्रस्तुति में कलाकारों ने लगभग 10 कठपुतलियों का प्रयोग किया. प्रस्तुति के दौरान हारमोनियम पर दिलीप मासूम ने, कोरस पर हेमलता जिम्बो और राज किशोर ने, ढोल पर विनोद भट्ट और अमित ने और खंजरी पर राज किशोर ने सहयोग किया| इस प्रस्तुति का निर्देशन दिलीप मासूम ने किया. इसके बाद सरिता साज ने अपने साथी कलाकारों के साथ महात्मा गाँधी के 150वें जन्मवर्ष के अवसर पर 'सुराज गीतों' का गायन प्रस्तुत किया. गायन प्रस्तुति की शुरुआत सोहर गीत 'बाजेला बधाई अंगनवा' प्रस्तुत कर की. इसके बाद कलाकारों ने चरखा एवं खादी आंदोलन गीत 'चरखा चलत बा हर-हर' और 'चरखा के टूटे न तार' प्रस्तुत किया. सरिता साज ने अपने साथी कलाकारों के साथ नील खेती से मुक्ति पर आधारित गीत 'अब न सहब हम जुलमिया' गा कर अपनी गायन प्रस्तुति को विराम दिया. गायन प्रस्तुति के दौरान सरिता साज का साथ हारमोनियम पर अक्षय कुमार, ढोलक पर यजन्त कुमार, गोपी जंतर पर जैनेन्द्र दोस्त, पैड पर विकी दांडे, तबले पर अमज़द खान, सारंगी पर हनीफ हुसैन और मंच व्यवस्था में दिलीप सिंह ने सहयोग किया.