चंडीगढ़ः चंडीगढ़ को यों ही खूबसूरत शहर नहीं कहा जाता. यहां की साहित्यिक शामें अपने आप में तीन राज्यों की खूशबू समेटे हुए होती हैं. हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के साहित्यकारों के सृजन की अभिव्यक्ति का गढ़ है यह शहर. फिर केंद्र शासित होने के चलते दिल्ली वालों का भी इस नगर से काफी लगाव है. यही वजह है कि हरियाणा साहित्य अकादमी ने पंचकूला स्थित अपने परिसर में हरियाणा सरकार के सहयोग से जब अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया तो उसमें देशभर से जुटे नामीगिरामी कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं साथ ही अपने अनुभव भी बांटे. स्थानीय कवियों के हिंदी काव्यपाठ और हिंदी साहित्यप्रेमियों का जमावड़ा यह बताने के लिए पर्याप्त था कि हरियाणवी, पंजाबी और हिमाचली के बीच हिंदी एक सहोदर के रूप में इस आधुनिक शहर में न केवल विद्यमान है, बल्कि आगे भी बढ़ रही.
इस अनूठे काव्य समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर मनमोहन सहगल की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण थी. हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. पूर्णमल गौड़ ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की. साहित्य संगम ट्राईसिटी ने भी इस सम्मेलन के आयोजन में अपनी भूमिका निभायी थी और हिंदी साहित्यजगत के चर्चित नामों में से ब्रजेंद्र त्रिपाठी, हरेराम समीप, सरोज बाला, नवर पांडे, कुलवंत रफीक, डॉ चंद्र त्रिखा, प्रो सतीश वर्मा, टेकचंद अत्री और प्रोफेसर योगेश्वर कौर को इस सम्मेलन के लिए पंचकूला में आमंत्रित किया था. साहित्य संगम ट्राइसिटी के संस्थापक प्रो.फूलचंद मानव ने बाहर से आए अतिथियों और ट्राइसिटी के नामवर हस्ताक्षर को इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया.