छपराप्रगतिशील लेखक संघ का सोलहवां बिहार राज्य सम्मेलन छपरा के आशीर्वाद पैलेस में के नामवर सिंह नगर में आयोजित किया गया। प्रांतीय सम्मेलन में पूरे राज्य से लेखक, कवि, साहित्यकार, कथाकार, उपन्यासकार इकट्ठा हुए।  इस आयोजन में सबसे पहले बिहार प्रगतिशील लेखक संघ का इतिहास पुस्तक का लोकार्पण किया। इसके लेखक थे  ब्रज कुमार पांडे। इस मौके पर दो और पुस्तकों  का  लोकार्पण किया गया।

उद्घाटन करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर मणीन्द्रनाथ ठाकुर ने   एमिल  जोला, मुल्कराज आनन्द आदि का उदाहरण देते हुए कहा " हमें अपने समाज की कहानियां कहना आना चाहिए। जो काम लेखक कर सकता है वो समाजशास्त्र, राजनीतिविज्ञान नहीं कर सकता।   आपको दलित आंदोलन समझना हो तो तुलसीराम कामुर्दहिया" पढ़ना चाहिए, हजारीप्रसाद द्विवेदी का 'अनामदास पोथा' से आपको  ज्यादा समझ में आएगा।। "

लखनऊ से आए आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा " हमें प्रगतिशील लेखकों के भी उन किताबों को देखना चाहिए जिसमें कैसे फुले, आंबेडकर, आदि को कैसे छोड़ा गया इसको भी देखना चाहिए। दक्षिण भारतीय के साहित्यकार जोखिम लेकर लिख रहे हैं जबकि हिंदी  के साहित्यकार इस मामले में पीछे हैं। "

 उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए पटना विश्विद्यालय के हिंदी के प्रोफ़ेसर तरुण कुमार  ने कहाआज सारी चीजों को बनाम  में बदल दिया गया है। हिन्दू बनाम मुसलमान, देशभक्त बनाम देशविरोधी, अगड़ा बनाम पिछड़ा की शब्दावली में बात करने लगे हैं। "

तरुण कुमार ने आगे कहा " हमें सरकार का विरोध तो करना चाहिए उसका बहिष्कार करने से बचना चाहिए। लेखक संगठनों को राज्य के साथ कैसा संबंध रखना चाहिए इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। यदि कोई समाज डरा हुआ है तो हम भी  उस डर से बच नहीं सकते।

उद्घाटन सत्र को जन संस्कृति मंच के सुरेंद्र कुमार सुमन, जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव विनीताभ , प्रख्यात आलोचक खगेन्द्र ठाकुर, , प्रगतिशील लेखक संघ के प्रांतीय  अध्यक्ष ब्रज कुमार पांडे, नूतन आनन्द  ने भी संबोधित किया। प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन  ने अपने संबोधन   में  मैक्सिम गोर्की का उदाहरण देते हुए कहायदि  दिमाग गुलाम होगा तो हाथ व पैर भी काम नहीं करेगा।