नई दिल्लीः किसी पत्रिका में प्रकाशित श्रेष्ठ कविता के लिए हर वर्ष दिया जाने वाला भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार साल 2018 के लिए काशी हिंदू विश्व विद्यालय के शोध छात्र विहाग वैभव को मिलेग. विहाग वैभव को यह पुरस्कार तद्भवपत्रिका में प्रकाशित उनकी कविता चाय पर शत्रु सैनिकके लिए दिए जाने की घोषणा की गई है. यह निर्णय इस वर्ष के लिए निर्णायक समिति के सदस्य रहे प्रतिष्ठित कवि अरुण कमल ने लिया. उन्होंने इस कविता का चयन करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि यह कविता वृत्तान्त शैली का व्यवहार करती हुई दो पात्रों के निजी सुख-सन्ताप की मार्फ़त युद्धोन्माद, घृणा और अनर्गल हिंसा की भर्त्सना करती है तथा मनुष्य होने और बने रहने की पवित्र आकांक्षा को रेखांकित करती है.
याद रहे कि विहाग वैभव की रुचि बचपन से ही लेखन की ओर रही है. वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शोध छात्र हैं, और अभी तक उनका कोई कविता संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ है. हालांकि कई साहित्यिक पत्र, पत्रिकाओं में अपनी गंभीर और समकालीन कविताओं से उन्होंने अपनी पहचान बनाई है. हिंदी के वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी के अनुसार विहाग वैभव को यह पुरस्कार रज़ा फ़ाउण्डेशन द्वारा आयोजित वार्षिक समारोह युवा-2019’ के अवसर पर 11 अक्टूबर-2019 को प्रदान किया जाएगा. ध्यातव्य है कि पहला भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार 1979 में अरुण कमल को उनकी कविता 'उर्वर प्रदेश' पर मिला था. इसके बाद यह पुरस्कार उदय प्रकाश, कुमार अंबुज, देवी प्रसाद मिश्र, पंकज चतुर्वेदी को भी मिल चुका है. बद्रीनारायण,  हेमन्त कुकरेती, आस्तीक वाजपेयी, व्योमेश शुक्ल, अनुज लुगुन, कुमार अनुपम, प्रांजल धर, शुभमश्री जैसे कवियों को मिल चुका है. साल 2017 में यह अच्युतानंद मिश्र को उनकी कविता 'बच्चे धर्म युद्ध लड़ रहे हैं' के लिए दिया गया था, और अब विहाग वैभव को यह मिला है. बधाई!