भोपाल: विश्व मैत्री मंच ने संतोष श्रीवास्तव के काव्य संकलन 'तुमसे मिलकर' का लोकार्पण और चर्चा कार्यक्रम स्थानीय आर्य समाज भवन में आयोजित किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने की. उन्होंने संग्रह की कविताओं का उल्लेख करते हुए 'नमक का स्वाद', 'बदलाव' और 'बचा लेता है' कविता को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए इन तीनों कविताओं का विस्तार से ज़िक्र किया. 'बचा लेता है' कविता के संदर्भ में उन्होंने कहा कि काग़ज़ जब नोट बनता है, तो पावर में आते ही सबसे पहले नष्ट कर डालता है, मानवीय रिश्तों को, संवेदनाओं को, जीवन मूल्यों को. ज्ञान वर्धन की कविता पिकासो में इसी पावर का जिक्र है कि दुनिया की किसी भी करेंसी से महंगा वह चार इंच का कागज है, जिस पर पिकासो के हस्ताक्षर हैं, लेकिन किताब का पन्ना बनते ही, वह कागज सब कुछ सहेज लेता है. मैं संतोष को साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने कागज को किताब का पन्ना बनाने की महत्त्वपूर्ण कोशिश की है."
प्रसिद्ध गीतकार नरेंद्र दीपक ने कहा, "वैसे तो मुक्त छंद की समकालीन कविताएं बहुत अच्छी नहीं हो सकतीं, लेकिन संतोष श्रीवास्तव ने मुक्त छंद में लिखकर यह सिद्ध कर दिया कि यह मुक्त छंद में लिखे गीत हैं." वरिष्ठ लेखक, अनुवादक सुभाष नीरव ने कहा, "इस संग्रह की कमाल की बात यह है कि पहली कविता जो पाठक की उंगली थामती है, तो अंतिम कविता तक का सफर करा देती है. जिसे पढ़कर पाठक बंध जाए, डूब जाए, व संवाद करे वही कविता की सार्थकता है, इन कविताओं ने छीजती संवेदना को उठाकर प्रेम के बीज बोए हैं." संतोष श्रीवास्तव ने अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ करते हुए कहा, "कविता में जो घटता है वह अवधारणा में बदल जाता है." इस अवसर पर डॉ राजेश श्रीवास्तव, डॉ स्वाति तिवारी, हीरालाल नागर, बलराम अग्रवाल, योगेश शर्मा ने भी संग्रह पर अपनी बात रखी. समारोह में भोपाल के संपादकों, लेखकों, पत्रकारों सहित झांसी, रतलाम, ग्वालियर से आए लेखकों ने भी शिरकत की. समारोह का संचालन धर्मेंद्र सोलंकी ने किया.