'जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को, स्मरणीय क्षणों को मैं अपनी कहानियों में पिरोती रही हूं. ये अनुभूतियां कभी मेरी अपनी होती हैं कभी मेरे अपनों की. और इन मेरे अपनों की संख्या और परिधि बहुत विस्तृत है. वैसे भी लेखक के लिए आप पर भाव तो रहता ही नहीं है. अपने आसपास बिखरे जगत का सुख-दु:ख उसी का सुख-दु:ख हो जाता है. और शायद इसीलिये मेरी अधिकांश कहानियां 'मैं' के साथ शुरू होती हैं.' भारतीय परिवारों की सर्वाधिक लोकप्रिय हिंदी कथाकारों में शुमार मालती जोशी ने अपनी कथा-यात्रा और उनमें संस्कारयुक्त परिवारों के उल्लेख पर पूछे गए सवाल के उत्तर में कभी यह कहा था. आज उनका जन्मदिन है. पद्म श्री से सम्मानित लेखिका मालती जोशी का जन्म 4 जून, 1934 को औरंगाबाद में हुआ था, आपने आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष 1956 में हिन्दी विषय से स्नातकोत्तर किया और शिक्षण के साथ ही लेखन जगत से जुड़ गईं.
मन को छूने वाली कहानियों की इस लेखिका ने अब तक चार पीढ़ी को प्रभावित किया है और अब भी लेखन में सक्रिय हैं. उनके चर्चित कहानी संकलनों में वो तेरा घर ये मेरा घर, मोरी रँग दी चुनरिया, बहुरि अकेला, वो तेरा घर, ये मेरा घर के अलावा उपन्यास औरत एक रात है, पिया पीर न जानी, रहिमन धागा प्रेम का शामिल है.सच कहें तो अब तक उन्होंने अनगिनत कहानियां, बाल कथाएं व उपन्यास लिखे. इनमें से अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है तथा कई कहानियां रेडियो व दूरदर्शन पर प्रस्तुत की जा चुकी हैं. कुछ पर जया बच्चन के दूरदर्शन धारावाहिक 'सात फेरे' तथा कुछ को गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक 'किरदार' तथा 'भावना' जगह मिली है. मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के भवभूति अलंकरण सम्मान सहित हिंदी व मराठी की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत मालती जोशी को जन्मदिन की शुभकामनाएं.