नई दिल्लीः सामाजिक,सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था 'चेतना इंडिया' ने यशस्वी संपादक और व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय और कवि, व्यंग्यकार डॉ लालित्य ललित को 'चेतना इंडिया सम्मान' से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. इस आशय का फैसला संस्था ने अपनी कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से किया. दोनों लोगों को यह सम्मान हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में 2 जून को आयोजित 'कुल्लू व्यंग्य महोत्सव' में प्रदान किया जाएगा. इस आशय की सूचना रणविजय राव ने दी है. याद रहे कि प्रेम जनमेजय व्यंग्य विधा को पूरी तरह समर्पित सशक्त कथाकार हैं. वह व्यंग्य यात्रा नामक पत्रिका निकालते हैं और व्यंग्य को एक गंभीर कर्म तथा सुशिक्षित मस्तिष्क के प्रयोजन की विधा मानते हैं व परंपरागत विषयों से हटकर लिखते हैं.
प्रेम जनमेजय का पहला संकलन 'राजधानी में गंवार' बहुत चर्चित रहा. इसके अलावा वह 'बेर्शममेव जयते', 'पुलिस ! पुलिस !', 'मैं नहीं माखन खायो', 'आत्मा महाठगिनी', 'मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएं', 'शर्म मुझको मगर क्यों आती !', 'डूबते सूरज का इश्क', 'कौन कुटिल खल कामी', 'ज्यों ज्यों बूड़े श्याम रंग', 'कोई मैं झूठ बोलया', 'लीला चालू आहे' जैसी सशक्त व्यंग्य संकलनों से हिंदी साहित्य को समृद्ध कर चुके हैं. इसी तरह लालित्य ललित ने हाल के दिनों में व्यंग्य लेखन में काफी धमाल मचाया है. अखबारों और समसामयिक पत्रपत्रिकाओं में निरंतर छपते रहने वाले लालित्य के तीसेक से भी अधिक व्यंग्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 'गांव का ख़त, शहर के नाम', 'दीवार पर टंगी तस्वीरें', 'यानी जीना सीख लिया', 'तलाशते लोग', 'इंतजार करता घर', 'चूल्हा उदास है' शामिल है. कई पत्रिकाओं ने उनपर विशेषांक भी निकाले हैं.