अरुंधति रॉय की किताब अपार ख़ुशी का घरानाहमें कई वर्षों की यात्रा पर ले जाता है. यह एक ऐसी कहानी है जो वर्षों पुरानी दिल्ली की तंग बस्तियों से खुलती हुई फलते-फूलते नए महानगर और उससे दूर कश्मीर की वादियों और मध्य भारत के जंगलों तक जा पहुंचती है, जहां युद्ध ही शांति है और शांति ही युद्ध है. और जहां बीच-बीच में हालात सामान्य होने का एलान होता रहता है. अंजुम, जो पहले आफ़ताब थी, शहर के एक क़ब्रिस्तान में अपना तार-तार कालीन बिछाती है और उसे अपना घर कहती है. एक आधी रात को फुटपाथ पर कूड़े के हिंडोले में अचानक एक बच्ची प्रकट होती है. रहस्मय एस.तिलोत्तमा उससे प्रेम करनेवाले तीन पुरुषों के जीवन में जितनी उपस्थित है उतनी ही अनुपस्थित रहती है. अपार ख़ुशी का घरानाएक साथ दुखती हुई प्रेम-कथा और असंदिग्ध प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है. उसे फुसफुसाहटों में, चीख़ों में, आंसुओं के ज़रिये और कभी-कभी हंसी-मज़ाक़ के साथ कहा गया है. उसके नायक वे लोग हैं जिन्हें उस दुनिया ने तोड़ डाला है जिसमें वे रहते हैं और फिर प्रेम और उम्मीद के बल पर बचे हुए रहते हैं. इसी वजह से वे जितने इस्पाती हैं उतने ही भंगुर भी, और वे कभी आत्म-समर्पण नहीं करते. यह सम्मोहक, शानदार किताब नए अंदाज़ में फिर से बताती है कि एक उपन्यास क्या कर सकता है और क्या हो सकता है.

 

इस किताब में अरुंधति रॉय की कहानी-कला का करिश्मा इसके हर पन्ने पर दर्ज है. उनके खुद के शब्दों में, 'मेरी यह पुस्तक अब तक देश-विदेश के 49 भाषाओं में अनूदित हो चुकी है और अब हिंदी और उर्दू में आते ही मेरे लिए पूरी हो गयी है.' उनके मुताबिक यह किताब इसलिए भी खास है कि 'बुकर पुरस्कार मिलने के बाद मैं चाहती तो 'द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स' भाग –2, 3 भी लिख सकती थी, लेकिन मेरे लिए उपन्यास एक पूजा और मेरी दुनिया है. उपन्यास ऐसी विधा है जिसमें आप एक ब्रह्मांड रच सकते हैं, जिसके जरिये आप पाठक को अपने साथ-साथ चलने के लिये आमंत्रित करते हैं. यह कहीं अधिक जटिल प्रक्रिया है. लेकिन, मेरे लिए यह संतुष्टि देने वाली है. मैं उपन्यास लिखती हूं तो मुझे लगता है कि मैं अपने कौशल का इस्तेमाल कर रही हूं. इसमें मुझे अधिक संतोष और सुख मिलता है.' अरुंधति के मुताबिक, “द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस उपन्यास को लिखने में बहुत समय लगा, इसे लिखना मेरे लिए एक पहेली को सुलझाने जैसे था.वह इसे एक धोखेबाज नॉवल मानती हैं, जिसके धोखे को समझने के लिए आपको इसे कई बार पढ़ना पड़ सकता है।याद रहे कि 'मामूली चीज़ों का देवता' की लेखक अरुंधति रॉय की अनेक कथेतर पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें प्रमुख हैं- न्याय का गणित, आहत देश, भूमकाल : कॉमरेडों के साथ, कठघरे में लोकतंत्र.

– सुजाता शिवेन