जयपुरः गुलाबी नगरी जयपुर का सर्द मौसम जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के साथ गर्म है. डिग्गी पैलेस में शब्दों, विचारों, मत, विमत, कला, संस्कृति और विज्ञान की गंगा एक साथ एक लय में बह रही है. श्रुति विश्वनाथन के शास्त्रीय गायन और नगाड़ों व शंख ध्वनि के साथ शुरू हुए लिटरेचर फेस्टिवल का पहला उद्बोधन आज के दौर मे विज्ञान की जरूरत पर था. जिसने इस बात को रेखांकित किया कि कला, साहित्य और विज्ञान अलग-अलग नहीं हैं, ये बस धाराएं हैं जो कभी भी एक हो सकती हैं. फेस्विटल डायरेक्टर संजोय के. रॉय ने कहा भी कहा कि हम विरोधी मत को आवाज देने के लिए भी एकत्र होते हैं. उन्होने कहा कि 12 वर्ष पहले जब हमने इसे शुरू किया था तो हम 170 आदमियों के इकटठा होने का भी इंतजार कर रहे थे, आज यहां लाखों लोग आते हैं. इस फेस्टिवल ने इस मिथक को भी तोड़ा है कि नई पीढ़ी साहित्य को पसंद नहीं करती. यहां आने वाले 80 प्रतिशत लोग 30 वर्ष या इससे कम आयु के हैं. फेस्विल की सह निदेशक नमिता गोखले ने प्रमुख सत्रों की जानकारी दी और राजस्थान के कला व संस्कृति मंत्री बी.डी.कल्ला ने कहा कि कला और संस्कृति के बिना हम पशु समान हो जाएंगे. ऐसे कार्यक्रम हमारे बीच आपसी सद्भाव को बढ़ाते हैं.
फेस्टिवल के सत्रों में अब तक नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक वैंकी राधाकृष्णन, गीतकार गुलजार, फिल्मकार मेघना गुलजार, सिंगर उषा उत्थुप, साहित्यकार नरेन्द्र कोहली, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, सांसद शशि थरूर जैसी हस्तियां साहित्य, संस्कृति, लेखन, संगीत और विज्ञान व राजनीति सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा कर चुकी हैं. गुलजार ने फिल्मी गीतों के पीछे की कहानी बताई, वहीं एक्टिविस्ट अरूणा रॉय का विषय सूचना के अधिकार की कहानी पर बात करना था. शायर जावेद अख्तर और उनकी पत्नी अभिनेत्री शबाना आजमी के लिए उनके पारिवारिक विषय दिए गए, जिनमें जां निसार अख्तर व कैफी आजमी के बारे में बातचीत शामिल है. देश और दुनिया भर से बुलाए गए साहित्यकार, पत्रकार फिलहाल गुलाबी नगरी के रंग में गुलाबी हो रहे.