नई दिल्लीः गुजराती के प्रतिष्ठित कवि शीतांशु यशचंद्र को 27वां सरस्वती सम्मान एक भव्य समारोह में दिया गया. यशचंद्र को 2009 में प्रकाशित उनके संग्रह 'वखार' पर वर्ष 2017 का यह सम्मान दिया गया. के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला यह सम्मान भारतीय भाषाओं के सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कारों में एक है. इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कवि यशचंद्र ने कहा, 'कोई भी काव्य भाषा की सीमा में नही बंधा होता, क्षेत्रीय साहित्य मुझे मिथ्या नाम लगता है.' चयन समिति के सदस्य सचिव सुरेश रितुपर्णा ने कहा कि यह कविता संग्रह 'यशचंद्र की काव्य यात्रा का शिखर है'. रितुपर्णा ने कहा, 'उन्होंने वास्तविक जीवन की सीमाओं के पार जाकर भाषा की स्वतंत्रता और रचनात्मकता की उच्च प्रतिमान स्थापित किए…

याद रहे कि लोकसभा के पूर्व महासचिव डा. सुभाष सी. कश्यप की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय चयन समिति ने अप्रैल 2018 में यशचंद्र को सरस्वती सम्मान से पुरस्कृत करने की घोषणा की थी. इस पुरस्कार के तहत 15 लाख रुपए की राशि, एक ताम्र पत्र और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है. गुजरात के भुज में 1941 में जन्मे शीतांशु यशचंद्र को यह सम्मान भारतीय भाषाओं के साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए दिया गया. यशचंद्र को 2006 में पद्म श्री, वर्ष 1998 में कवि सम्मान और 1996 में राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार मिल चुका है. वह एक कुशल अनुवादक और नाट्ककार के रूप में भी जाने जाते हैं. यशचंद्र के तीन कविता संग्रह, 10 नाटक और आलोचना की तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें वर्ष 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है.