पंडारक, बाढ़: पटना जिले में बाढ़ के वास स्थित ऐतिहासिक गांव पंडारक अपनी रंगमंचीय गतिविधियों के लिए विख्यात है। इस गांव में नाटक की परंपरा सौ वर्षों से भी अधिक पुरानी है। पंडारक की पुण्यार्क कला निकेतन द्वारा रंगमंच पर एक चर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का विषय था "वर्तमान समय और रंगमंच की चुनौतियाँ" । विषय प्रवेश करते हुए संचालक अमित कुमार ने कहा " रंगमंच को हमेशा चुनौतियों का सामना करना पडा़ है, पर यह हमेशा उन चुनौतियों को परास्त करने में सफल रही है। सिनेमा, रेडियो, टी.वी. , और अब कम्प्यूटर और मोबाईल जैसे नवीन उपकरण रंगकर्म के समक्ष चुनौती के तौर पर खड़े हैं,परंतु रंगमंच का अस्तित्व अक्षुण्ण है और रहेगा" । स्थानीय रंगकर्मी भारत भूषण पाठक ने कहा " सौ सालों से भी अधिक समय से पंडारक जैसे ग्रामीण अंचल में नाटक होते रहने के बाद भी संसाधनों के अभाव दुर्भाग्यपूर्ण है। "
स्थानीय चिकित्सक डा. अरुण कुमार शर्मा ने रंगमंच को संस्कारों के परिष्कार का जरिया बताते हुए इस बात पर ज़ोर दिया " रंगकर्मियों को उचित सम्मान व संरक्षण मिलना चाहिए ताकि वे रंगकर्म की बदौलत इज्जत की ज़िंदगी जी सकें। पटना के रंगकर्मी डॉ शैलेन्द्र ने पंडारक को ग्रामीण नाटक का रोल मॉडल बताते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में रंगमंच के पुनरुत्थान की आवश्यकता पर बल दिया। संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने " नाटक को सामाजिक परिवर्तन और सांस्कृतिक जागरण का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने समसामयिक, स्थानीय और मौलिक नाटकों के सृजन और प्रदर्शन को समय की मांग बताया" ।
पटना के वरिष्ठ रंगकर्मी राजीव रंजन श्रीवास्तव ने नाट्य मंचन के क्षेत्र में स्थानीय लड़कियों की भागीदारी और कम समय में मंचित होने वाले और नये नये युवा निर्देशकों की मौलिक सोच से सज्जित नाटकों की जरुरत को रेखांकित किया। अंत में नाट्य-गोष्ठी को संबोधित करते हुए अशोक प्रियदर्शी ने अपने यशस्वी पिता महान नाटककार स्व. चतुर्भुज जी के रंगकर्म जीवन से जुड़े अनेक संस्मरण और प्रसंग सुनाये। उन्होंने कहा " तमाम चुनौतियों के बावज़ूद आज रंगकर्म के क्षेत्र में अवसरों की कोई कमी नहीं है। जरुरत है सही दिशा में और सार्थक तरीके से प्रयास करने की। "
इस अवसर पर पुण्यार्क कला भवन के नए भवन का उदघाटन आगत अतिथियों द्वारा किया गया। इस भवन के लिए जमीन पंडारक के चर्चित रंगकर्मी विजय आनंद के परिवार ने दानस्वरूप दिया गया है। इस अवसर पर अमित कुमार द्वारा संपादित पुण्यार्क कला निकेतन, पंडारक की स्मारिका "राग-रंग" का भी विमोचन किया गया। परिचर्चा के दौरान अधिकांश वक्ताओं ने पिछले वर्ष दिवंगत हुए पंडारक के रंगकर्मी अजय कुमार के महती योगदानों को शिद्दत से याद किया।
नाट्य संगोष्ठी के दौरान संस्था के निर्देशक विजय आनंद, सह-निर्देशक रविशंकर , कुंदन गुप्ता, रूबी खातून, मोहम्मद जॉनी सहित अनेक रंगकर्मी, प्रबुद्धजन तथा पण्डारक के ग्रामीण मौजूद थे।