पटना। गांधी जी के 150वीं जयंती एवं शास्त्री जी की 115वीं जयंती के अवसर पर लेख्य मंजूषा और अमन स्टूडियो के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "जरा याद करो कुर्बानी" काव्यगोष्ठी का आयोजन वेलकम होटल में हुआ। शहर के जाने माने कवियों ने अपनी कविताओं से गांधी जी एवं शास्त्री जी को अपनी रचनाओं से श्रद्धांजलि अर्पित की।
शहीदों को याद करते हुए सभी कवियों ने देश भक्ति पूर्वक रचनाओं को प्रस्तुत किया तो पूरा माहौल देशभक्ति के उमंग में सराबोर हो गया.
संजय कुमार संज ने एक नया इतिहास बनाने की बात कही-
कि हर्ष हो उत्कर्ष हो, खुशियां भी सहर्ष हो,
हास हो परिहास हो, नया इक इतिहास हो
शास्त्री हों और गांधी हों, बिस्मिल प्रयास में आंधी हो
सर्व धर्म का आकाश हो, नया इक इतिहास हो.
सुनील कुमार आज के बिगड़े हुए माहौल को देख कर फिर से गांधी जी को खोज रहे हैं-
राजनेता अब कहां गांधी के जैसा,
देश को फिर से वो गांधी चाहिए
मो. नसीम अख्तर ने अपने उदगार कुछ यूं व्यक्त किये
तकदीर क़ौम मिलकर बनाओ ऐ दोस्तों
अपने वतन की शान बढ़ाओ ऐ दोस्तों
विभूति कुमार ने जलते हुए देश को देख कर बापू का संदेश याद किया-
जल रहा है, झुलस रहा है हर राष्ट्र हर देश,
भूल गए हम बापू तेरा शांति का संदेश
युवा विपुल ने बापू की हत्या पर उत्तेजित होते हुए कहा कि-
नहीं मरे महात्मा उस दिन
नाथू राम के गोली से,
नहीं सजी थी धरती उसदिन,
बापू के रक्त रंगोली से,
पर आज मैंने एक देशभक्त को
तिरंगा नीचे करते देखा
बापू को मरते देखा!
निशांत निरंकुश ने अपने कर्तव्य से विमुख नागरिकों पर तंज कसते हुए कहा-
आजादी को छोड़ो, गांधी आजाद को लड़ने दो,
हम जागेंगे लेकिन पहले भगत सिंह को मरने दो
मधुरेश नारायण ने कहा गांधी के साथ-साथ लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवास को भी याद किया-
मातृ-भूमि की पुण्य धरा पर, दो महापुरुषों का जन्म हुआ
चमक उठा माॅ-भारती का भारत, ऐसा इनका कर्म हुआ
उत्कर्ष आनंद भारत ने अनीति के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया-
युद्ध युद्ध युद्ध है, अनिति के विरुद्ध है,
पार्थ भीम संग में, धर्मराज क्रुद्ध है.
अपने अध्यक्षीय भाषण में सतीशराज पुष्करणा ने पहले पढ़ी गई कविताओं पर अपने संक्षिप्त विचार देते हुए सबको शाबासी दी फिर अपनी कविता के माध्यम से सोते हुए शहर को जगा दिया-
चाहिए बेदारियाँ और सो रहा है कुल शहर
है बहुत दुश्वारियाँ और सो रहा है कुल शहर
खौफ के मारे बच्चे सिमटे माँ की गोद में
रो रही किलकारियाँ और सो रहा है कुल शहर
इस अवसर पर अन्य कवियों में संजय कुमार सिंह, ज्योति मिश्रा, विभूति कुमार, शाइस्ता अंजूम, मो रब्बान अली, विजयनाथ झा, विश्वनाथ वर्मा, अनिष कुमार मिश्र, आशीष कुमार झा आदि ने भी अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया। मंच संचालन ज्योति स्पर्श ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन मो. नसीम अख्तर ने किया।