जोधपुर: साहित्य के क्षेत्र में अनुवाद एक विशिष्ट विधा रूपी आलोक है, जो लेखक और पाठक के बीच भाषाई बाधा को दूर कर, संवाद स्थापित करता है. यह बात मशहूर शायर और गजलकार शीन काफ निजाम ने कही. वे महिलाओं की साहित्यिक संस्था ‘संभावना‘ द्वारा आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में लेखिका, अनुवादक और राजस्थानी भाषा की पहली महिला उपन्यासकार बसंती पंवार की पांच पुस्तकों का विमोचन हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्योत्तमा फाउंडेशन के संस्थापक सुबोध मिश्र थे. उन्होंने बसंती पंवार की लेखन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए सफल जीवन के रहस्यों को समझाया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के विभागाध्यक्ष गजेसिंह राजपुरोहित उपस्थित थे.
राजपुरोहित ने बसंती पवार की रचना संसार की व्याख्या करते हुए उनकी तुलना मीरा बाई और लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत से की. लेखिका बसंती पंवार ने अपनी लोकार्पित पांच पुस्तकों ‘राधा रो सुपनों‘, ‘हूंस सूं आभै तांई‘, ‘चूंटिया भरुँ?’, ‘तलास ढाई आखर की‘ और ‘कमाल रौनक रो‘ का परिचय दिया तथा जीवन में प्रेम और सामंजस्य को आवश्यक बताया. सम्भावना की सचिव डा अंजना चौधरी ने अतिथियों का अभिनंदन किया. जया आसोरिया तथा अर्चना बिस्सा ने पत्र वाचन किया. कार्यक्रम का संचालन स्वाति जैसलमेरिया ने किया तथा डा चांदकौर जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम में रमाकांत शर्मा, पद्मजा शर्मा, सुषमा चौहान, दीप्ति कुलश्रेष्ठ, हरिप्रकाश राठी, किशन गोपाल जोशी, मोहनलाल वैष्णव, ऊषा माहेश्वरी, अनिता मेहता, सीमा जोशी मूथा, तृप्ति गोस्वामी एवं सम्भावना परिवार सहित शहर के जाने माने साहित्यकार, साहित्य प्रेमी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.