हरिद्वार: “भारतीय भाषाओं में हिंदी बड़ी बहन समान है. अपने दैनिक व्यवहार में भी हिंदी का प्रयोग करना चाहिए. हमारे युवाओं को चाहिए कि वे हिंदी साहित्य का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करें, जिससे वे हिंदी शब्दकोश से सम्पन्न हों.” यह बात देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज में दो दिवसीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि आईसीसीआर के अध्यक्ष डा विनय सहस्रबुद्धे ने कही. इस अवसर पर न्यायाधीश विवेक भारती शर्मा, देसंविवि के प्रतिकुलपति डा चिन्मय पण्ड्या, डा संजीव चोपड़ा, डा लक्ष्मीशंकर वाजपेयी आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन किया और पं श्रीराम शर्मा आचार्य के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया. डा सहस्रबुद्धे ने कहा कि हिंदी को विश्व भर में स्थापित करना है. इससे पहले हम सभी को अपने अंदर हिंदी को प्रतिष्ठापित करना चाहिए. उन्होंने युवाओं को मैथिलीशरण गुप्त, महादेवी वर्मा आदि हिंदी साहित्य के प्रथम पंक्ति के रचनाकारों का अनुकरण करते हुए हिंदी साहित्य की नई रचना के लिए प्रेरित किया. देसंविवि के प्रतिकुलपति डा चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि विश्व में हिंदी को प्रथम स्थान पर ले जाने हम सभी को अभिप्सा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमारे मन, वचन, चिंतन में समाया हुआ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि लौकिक ग्रंथ लेखक को प्रतिष्ठा दिलाती है, जबकि वैदिक ग्रंथ, वैदिक मंत्र के माध्यम से रचनाकार को जाना जाता है. हमारी संस्कृति की यही विशेषता रही है. उन्होंने हिंदी साहित्य के विकास हेतु विस्तृत जानकारी दी.
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि नैनीताल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक भारती शर्मा ने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली भाषा में हिंदी का तीसरा स्थान है. उन्होंने कहा कि हिंदी सर्वव्यापक हो, इसके लिए हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में हिंदी संस्कृति के लिए समर्पित संस्थानों को विकसित करने की आवश्यकता है. डा संजीव चोपड़ा ने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए के लिए चलाये जा रहे विविध कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी. वरिष्ठ साहित्यकार डा लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने हिंदी साहित्य के विस्तार पर चर्चा की. इस दौरान हिंदी साहित्यकार अनिल रतूड़ी, ममता किरण, व्यास मिश्र, डा सुशील उपाध्याय, अशोक पाण्डेय आदि को विशेष प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया. समापन से पूर्व अतिथियों को रक्त चंदन का पौधा, स्मृति चिह्न, पंचतीर्थ चित्र आदि भेंट किया. इस अवसर पर देसंविवि के कुलसचिव बलदाऊ देवांगन, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शिक्षिकाएं आदि सहित विभिन्न स्थानों से आये शिक्षाविद व साहित्यकार उपस्थित रहे.