दरभंगाः स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज के हिंदी विभाग की ओर से कॉलेज सभागार में आयोजित कहानी पाठ में समकालीन कथाकार डॉ रूपा सिंह की चर्चित कहानी ‘दुखां दी कटोरी: सुखां दा छल्ला‘ का पाठ साहित्य प्रेमियों को लंबे समय तक याद रहेगा. इस अवसर पर इस कहानी को लेकर एक विमर्श भी हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो मंजु चतुर्वेदी ने की. कहानी पाठ से पूर्व रूपा सिंह ने कहा कि आज की कहानी समय की नजाकत को बड़ी गहराई से अभिव्यक्त करती है. इस अभिव्यक्ति के लिए उसके कथ्य और शिल्प दोनों में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल रहा है. इसे देखते हुए आवश्यक हो गया है कि कहानी के मूल्यांकन की दृष्टि में भी परिवर्तन किया जाए. कहानी की समीक्षा करते हुए प्रो चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि कहानी के भीतर से कहानी निकालने की भारतीय कथा धारा को इस कहानी में रूपा सिंह ने बखूबी आगे बढ़ाया है. इस तरह यह कहानी दोहरे स्तर पर आगे बढ़ती है. इसमें एक ओर बेबो और शमशेर की कथा है तो दूसरी ओर कथावाचक और तोषी की कथा. कहानीकार ने इन दोनों कथाओं को संतुलन के साथ साधनों में सफलता हासिल की है. प्रो सिंह ने शिल्प की दृष्टि से इस कहानी को अत्यंत प्रभावशाली बताया.
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध रचनाकार आशा प्रभात ने कहा कि कहानी में बेबो के माध्यम से भारतीय नारी के आंतरिक संघर्ष को गहरी संवेदना के साथ अभिव्यक्त किया गया है. बेबो तमाम तकलीफों के बीच भी छल्ले के रूप में शमशेर के प्रथम प्रेम की स्मृति को आजीवन संजोए रखती है. डॉ कृष्ण कुमार झा ने ऐसी सफल और प्रभावशाली कहानी की रचना के लिए रूपा सिंह को बधाई दी. आरंभ में प्रधानाचार्य प्रो मंजू चतुर्वेदी ने महाविद्यालय परिवार की ओर से रूपा सिंह को सम्मानित किया. स्वागत भाषण हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अमरकांत कुमार ने किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ सतीश कुमार सिंह व धन्यवाद ज्ञापन किया डॉ तीर्थनाथ मिश्र ने. इस अवसर पर डॉ शांतिनाथ सिंह ठाकुर, डॉ उषा चौधरी, डॉ नरेंद्र, रंगकर्मी श्याम भास्कर, प्रो चंद्रशेखर झा, डॉ राजकिशोर झा, डॉ महेश ठाकुर, डॉ विनय कुमार झा, डॉ ऋषिकेश कुमार, डॉ ज्वाला चंद्र चौधरी, डॉ अजय कुमार, डॉ जेबा प्रवीण, प्रो कासिम, अनूप कुमार झा आदि सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी छात्र उपस्थित थे.