रायपुरः गणतंत्र दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ में जगह-जगह हिंदी के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी को मजबूत करने की भी आवाज सुनाई दी. कोरोना महामारी के चलते जगह-जगह ऑनलाइन संगोष्ठी, काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ. रायपुर, बलौदाबाजार, बिलासपुर समेत अन्य शहरों के कवियों ने हिंदी साहित्य भारती द्वारा आयोजित ऑनलाइन गोष्ठी में हिस्सा लिया. मुख्य अतिथि डॉ माणिक विश्वकर्मा नवरंग रहे. उन्होंने कौमी एकता पर बल देते हुए राष्ट्रीय एकता की बात कही और सुनाया कि मेरे लहू का रंग है तेरे लहू की तरह, क्यों न हम मिलकर रहे खुशबू की तरह. उन्होंने कहा कि यह चिंतनीय विषय है कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी भारत की कोई संवैधानिक राष्ट्रभाषा नहीं है. हम यह जानते हैं कि हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, लेकिन क्षेत्रवाद के चलते हिंदी को आठवीं अनुसूची में तो शामिल कर लिया गया, किंतु उसे राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया. अध्यक्षीय उद्बोधन में हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के प्रांतीय अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू ने कहा कि हिंदी साहित्य भारती केवल एक साहित्यिक मंच नहीं है बल्कि यह एक वैचारिक मंच है. हमें हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता है और यह हिंदी साहित्य भारती का प्रमुख उद्देश्य है.
साहू ने कहा कि हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाना ही हिंदी साहित्य भारती का प्रमुख उद्देश्य है. आज जब देश में अलगाववाद की बातें हो रही हैं, तब साहित्यकारों के लिए आवश्यक हो गया है कि वे अपनी कलम के माध्यम से राष्ट्रीयता का उद्घोष करें और जन-जन में राष्ट्रीयता के भाव जागृत करें. जिला बलौदाबाजार के अध्यक्ष चोवा राम वर्मा बादल ने कहा कि हम सबको मिलकर आगे आना होगा और छत्तीसगढ़ की भाषा छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए काम करना होगा. महामंत्री अजय अमृतांशु ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए नए रचनाकारों को निर्देशित करते हुए कहा कि वे लेखन को और अधिक परिमार्जित करें ताकि हिंदी साहित्य और अधिक समृद्ध बनाया जा सके. इस आयोजन में 25 रचनाकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया. जिसमें दुर्ग से डॉ दीक्षा चौबे, महासमुंद से महेश राजा, बेमेतरा से सुनील झा, सरगुजा से डॉ अजय चतुर्वेदी, बलरामपुर से कार्तिकेय गुप्ता, बलौदाबाजार से तुलेश्वरी धुरंधर, मनी राम साहू, कन्हैया साहू अमित, इन्द्राणी साहू, पोषण जायसवाल, दिलीप वर्मा आदि प्रमुख थे.