पटना। संस्था- लेख्य-मंजूषा ने हिन्दी दिवस पखवाड़ा का समापन समारोह को कवि गोष्ठी आयोजित कर मनाया। मुख्य-अतिथि के रूप में लखनऊ से आईं नीलम राकेश और उनके पति राकेश चंद्रा थे. तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. सतीशराज पुष्करणा और भगवती प्रसाद द्विवेदी थे. डॉ. नीलम राकेश ने हिंदी पखवाड़ा पर अपनी राय प्रकट करते हुए कहा " उन्हें पहले आकांक्षा समिति की सचिव बनने का अवसर मिला। इस अनुभव ने उन्हें गरीबी, मजबूरी, भूख, दर्द से रूबरू करवाया। विज्ञान क्लब की सचिव बनकर गांवों में अन्धविश्वास के विरुद्ध चलाये अभियान ने आम आदमी से जुड़ने और उसे जानने समझने का अवसर प्रदान किया। नीलम राकेश ने आगे बताया कि इसी अनुभव ने उन जैसी एक आम सी लड़की को कलम थमा दिया। इस यात्रा में दो बाल उपन्यास, छः बाल कहानी संग्रह, पांच कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह, चार नाटक की पुस्तके प्रकाशित हुई हैं। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रद्योगिकी संचार परिषद द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘सच तो कुछ और है’’ का सम्पादन (तीन खण्डों में) तथा बाल साहित्य समीक्षा’ के संपादन का अवसर मिला। कुछ सम्मान मिले जिनमें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा बाल साहित्य के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति सम्मान (वर्ष 2016) प्रमुख है।"
मंच संचालन कवयित्री ज्योति स्पर्श ने किया । ' लेख्य मंजूषा' के इस कार्यक्रम में कवि, कथाकार, सृजनधर्मी खासी संख्या में उपस्थित थे।
प्रमुख लोगों में थे रंजना सिंह (भोपाल), प्रतोष कुमार सिंह, अमीर हमज़ा, मो. नसीम अख्तर, मधुरेश नारायण, .संजय कुमार सिंह, विश्वनाथ वर्मा, प्रभात कुमार धवन, सुशांत सिंह, अभिलाषा कुमारी, पंकज सिंह, कुंदन आनंद, पूनम देवा, ज्योति स्पर्श, राजकांता राज, प्रेमलता सिंह, सुनील कुमार, कल्याणी कुसुम सिंह, नूतन सिन्हा, विपुल कुमा, प्रभात कुमार सिंह, रंजीता, रवि सिंह पार्थ विकास कुमार सिंह, सरोज तिवारी, उत्कर्ष आनंद भारत और अमिता मनोज ने भी भाग लिया.
कमला अग्रवाल (इंदिरापुरम), अनिता मिश्रा (हजारीबा) और नयनतारा देव की रचनाएँ भी पढ़ीं गईं। धन्यवाद ज्ञापन रंजना सिंह ने किया।