नई दिल्ली: केंद्रीय साहित्य अकादमी द्वारा अपने साहित्य मंच कार्यक्रम के तहत लेखकों की रचनाओं का पाठ कराती ही रहती है. यह आयोजन सभी भारतीय भाषाओं में आयोजित होते हैं. पिछले दिनों अकादमी के 'साहित्य मंच' कार्यक्रम के तहत हिंदी और मराठी के तीन रचनाकारों ने अपनी कृतियों का पाठ किया. ये रचनाकार थे पुष्पिता अवस्थी, लक्ष्मीकमल गेडाम एवं वेद प्रताप सिंह.
कार्यकम की शुरुआत कवि एवं पत्रकार वेद प्रताप सिंह ने अपनी ग़ज़लें सुनाकर की. उन्होंने अपनी गज़ल के माध्मम से समय के साथ आए बड़े बदलावों से उपजे दर्द को सहजता से व्यक्त किया. उन्होंने अत्याधुनिक जीवन शैली और अपनी जड़ों से कटते जाने की पीड़ा को रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की और इन दुष्परिवर्तनों को चिह्नित करते हुए उनपर तीखी टिप्पणी भी की.
मराठी की रचनाकार लक्ष्मीकमल गेडाम ने 'शिकार' शीर्षक से अपनी कहानी प्रस्तुत की. यह कहानी आदिवासी स्त्री गोदा की संघर्षपूर्ण ज़िंदगी पर केंद्रित थी. इस कहानी में गेडाम ने समाज के हाशिये पर जीवन यापन कर रहे एक परिवार में स्त्री की दशा और उसके संघर्षों को चित्रित किया है.
इसके बाद नीदरलैंड से पधारी हिंदी की चर्चित कवयित्री पुष्पिता अवस्थी ने अपनी कविताएं पढ़ीं. उनकी कविताओं में अतींद्रिय प्रेम की वृहत्तर भावना को प्रस्तुत किया गया था, जिसमें मनुष्यता का राग निहित है. उनकी कविताओं में व्यक्त पृथ्वी, स्त्री और प्रेम के पक्ष में सृजनात्मक स्वर को साहित्य प्रेमियों ने खूब सराहा. कार्यक्रम में कमल किशोर गोयनका, सुरेश ऋतुपर्ण, नरेंद्र मोहन, गोविंद प्रसाद, पवन माथुर, ओम निश्चल, विज्ञान व्रत, सुरेश धींगड़ा, हरिसुमन बिष्ट, ईश्वर सिंह, ब्रजेंद्र त्रिपाठी सहित राजधानी के कई महत्वपूर्ण साहित्यकार, लेखक और रचनाकार उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन अकादमी में हिंदी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया.