नई दिल्लीः भारतीय साहित्य को विश्व साहित्य और उसके परिदृश्य पर स्थापित करने की दिशा में साहित्य अकादमी समय-समय पर विभिन्न देशों के साहित्यिक प्रतिनिधियों के साथ मेल-मुलाकात के आयोजन कराती ही रहती है. इसी क्रम में भारत-चीन साहित्य मंच का आयोजन साहित्य अकादेमी सभागार में किया गया, जिसमें शंघाई लेखक समिति की उपाध्यक्ष सुश्री वांग लेन के अतिरिक्त वेनजुन क़िन और झाङ् दिंघाओ सहित कई चीनी पदाधिकारियों ने शिरकत किया जिनमें नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के अधिकारी यंग जुन एवं झाङ जियानकिन भी शामिल हुए. कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इसमें विभिन्न भारतीय भाषाओं के लेखक भी उपस्थित रहे, जिन्होंने चीन के प्रतिनिधिमंडल से अनेक प्रश्न पूछे, जिसका तीनों लेखकों ने समुचित उत्तर दिया.कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव डाॅ. के. श्रीनिवासराव ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि चीन के साथ साहित्य अकादेमी का सांस्कृतिक आदान प्रदान पिछले तीस वर्षों से निरंतर चल रहा है. उन्होंने दोनों देशों के प्राचीन संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि साहित्य ही इन संबंधों को और मजबूती प्रदान कर सकता है. उन्होंने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि अकादेमी की इस तरह की गतिविधियों को भारतीय साहित्य जगत में भी खूब सराहा जा रहा है.
इस अवसर पर उपस्थित भारतीय भाषाओं के लेखकों से औपचारिक परिचय के बाद शंघाई लेखक समिति की उपाध्यक्षा ने शंघाई लेखक समिति द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि इस संगठन से हजार से भी ज्यादा लेखक जुड़े हुए हैं जो आठ विभिन्न विधाओं के लिए कार्य करते हैं. उन्होंने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख करते हुए कहा कि वे चीन में बहुत लोकप्रिय हैं और उनका गहरा प्रभाव वहां देखा जा सकता है. उन्होंने इस बात का भी विस्तार से उल्लेख किया कि समिति युवाओं एवं बाल साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए भी किस-किस तरह के कार्य कर रही है. कार्यक्रम के अंत में हुए संवाद के दौरान भारतीय लेखकों ने चीन और चीनी साहित्य को लेकर कई तरह की जिज्ञासाएं प्रकट कीं, जिनमें प्रमुख थीं – चीनी साहित्य पर भूमंडलीकरण का प्रभाव, वहां पर पुस्तक पढ़ने की संस्कृति तथा अल्पसंख्यक समुदायों के साहित्य की स्थिति आदि. कार्यक्रम में जेएनयू के चीनी विभाग से बी.आर. दीपक, हेमंत अदलखा सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित रहे, जिनमें संस्कृत के सत्यव्रत शास्त्री, हिंदी के असगर वजाहत और सुरेश ऋतुपर्ण अंग्रेजी के चंद्रमोहन, सिंधी के मोहन चुटानी, ओड़िया लेखक और विदेश मंत्रालय में सचिव रहे अमरेंद्र खटुआ, ओड़िया लेखिका व चर्चित अनुवादक सुजाता शिवेन एवं बी.एल. गौड़, मोहन हिमथानी, अमन मुदि आदि प्रमुख हैं. इस अवसर पर साहित्य अकादेमी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी , अन्य लेखक एवं पत्रकार भी बड़ी संख्या उपस्थित थे.